चुनाव अधिकारी की नियुक्ति के साथ ही आगामी 23 नवंबर के लिए निर्धारित एनसीयूआई चुनाव प्रक्रिया तेज हो गई है। शीर्ष संस्था ने प्रतिनिधि बनने के लिए सदस्य सोसायटियों को 23 अक्टूबर तक बकाया राशि चुकाने का कहा है।
बता दें कि केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा भेजे गए दो नामों में से एनसीयूआई ने 23 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिस के रूप में कृषि सहकारी संस्था नेफेड के अतिरिक्त एमडी सुनील कुमार को चुना है। कुमार नेफेड के पुराने अधिकारी हैं, जिन्हें अक्सर शहर में नेफेड द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान सक्रिय देखा जाता रहा है।
स्पष्ट रूप से सौम्य और शिष्ट स्वभाव वाले कुमार एनसीयूआई जीसी की पहली पसंद थे। सूत्रों के मुताबिक, नेफेड के बुरे वक्त में काफी सक्रिय कुमार को नेफेड के एमडी ने साइड-लाइन कर दिया, जब कृषि सहकारी संस्था के अच्छे दिनों की शुरुआत हो गयी।
इस बीच, एनसीयूआई प्रतिनिधियों की सूची तैयार करने में व्यस्त हो गया है। सूत्रों के अनुसार, लगभग 250 सहकारी नेताओं के नाम इस सूची में शामिल हैं, लेकिन उनमें से कई अपनी सदस्यता खो सकते हैं यदि वे 23 जून तक अपना बकाया भुगतान करने में विफल रहते हैं।
सूची तैयार होने के बाद, इसको अंतिम रूप देने के लिए रिटर्निंग अधिकारी सुनील कुमार को सौंपा जाएगा। सूत्र के अनुसार, चुनाव के लिए नामांकन 16 नवंबर से शुरू हो सकते हैं।
पाठकों को याद होगा कि दो वरिष्ठ नेताओं डॉ चन्द्र पाल सिंह यादव और दिलीप संघानी ने हाल ही में केन्द्रीय राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला से मुलाकात की थी और उनसे निर्वाचन अधिकारी की समस्या को हल करने के लिए अनुरोध किया था। इस मुलाकात के बाद एनसीयूआई चुनाव प्रक्रिया में तेजी आई है।
स्मरणीय है कि एनसीयूआई के बोर्ड में लगभग 16 सीटें हैं, जिन पर चुनाव होना हैं। लेकिन मुख्य लड़ाई चार सीटों के इर्द-गिर्द है जहां बहुत सारे मतदाता होने के साथ-साथ बहुत सारे उम्मीदवार भी हैं।
बहु-राज्य सहकारी समिति एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जिसमें भारी संख्या में मतदाता हैं। उत्तराखंड के प्रमोद कुमार सिंह पिछले चुनाव में विजेता थे लेकिन क्या वह इस बार भी भाग्यशाली होंगे, यह कोई नहीं जानता।
सूत्रों ने बताया कि तमिलनाडु से इफको के निदेशक ओवर रामचंद्र ने भी चुनाव लड़ने के लिए अपनी रुचि दिखाई थी। दिलचस्प बात यह है कि प्रमोद इफको बोर्ड में भी हैं।
इसके अलावा, इस निर्वाचन क्षेत्र में सहकार भारती के मतदाता बड़ी संख्या में हैं और सूत्रों से पता चलता है कि इस सीट को हथियाने के लिए सहकार भारती हर संभव प्रयास कर रही है।
चीनी और श्रम, मत्स्य सहकारी और कई अन्य निर्वाचन क्षेत्रों को एक साथ मिला देने से भी उम्मीदवारों के लिए कठिन स्थिति उत्पन्न हो गयी है। एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि श्रम सहकारी नेता या चीनी सहकारी नेता एक-दूसरे को नहीं जानते हैं अतः उन्हें ठीक से प्रचार करने में असुविधा महसूस हो रही है।