सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी ने अपने जमाकर्ताओं से कहा कि सरकार को शिकायत लिखने के बजाय सहारा के पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। “इससे उनकी शिकायतों का शीघ्र समाधान होगा”, सहारा की ओर से जारी पत्र में कहा गया।
बता दें कि सहारा क्रेडिट के निवेशक अपनी ही मेहनत की कमाई को वापस पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
सहारा ने विभिन्न अखबारों में सार्वजनिक घोषणाओं को प्रकाशित करते हुए कहा, “हम अपने सहकारी मित्रों और सम्मानित सदस्यों से अपील करना चाहते हैं कि सोसायटी आपके हित और सेवा के लिए प्रतिबद्ध है और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा।”
“इसलिए, यदि आप प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय, पुलिस प्रशासक, केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय सहित सरकारी प्रतिष्ठानों को पत्र लिखने के बजाय सोसाइटी पोर्टल के माध्यम से अपनी समस्याओं से अवगत कराए तो शीघ्र समाधान होगा और इससे सरकारी कार्यालयों का कीमती समय भी बर्बाद नहीं होगा।”
संदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि सहारा समूह पिछले कुछ वर्षों से बुरे दौर से गुजर रहा है। “कुछ कानूनी अड़चनों के कारण परिपक्वता भुगतान में देरी की स्थिति बनी हुई थी। हालांकि, यहां तक कि एक दिन की देरी के लिए भी हम निश्चित रूप से अपने सम्मानित सदस्यों को विलंबित अवधि के ब्याज का भुगतान करते हैं”।
इससे पहले, सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार ने हाल ही में लखनऊ स्थित सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के मामले पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की, जिसमें उपस्थित सहारा प्रतिनिधियों को लोगों का पैसा वापस करने को कहा गया है और चेतावनी दी गयी है कि यदि ऐसा नहीं किया जाता तो परिसमापन के लिए तैयार रहें ।
सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के पीड़ित निवेशकों ने प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्रियों से लेकर आरओसी समेत अन्य से पैसा वापस दिलाने में मदद करने की गुहार लगाई है। यहाँ तक कि “भारतीयसहकारिता” को भी सहारा क्रेडिट से जुड़ी शिकायतों के हर दिन दर्जनों मेल आते हैं।
सुनवाई के दौरान, सोसायटी के अध्यक्ष और प्रतिनिधियों को सोसाइटी के नियमित कामकाज के लिए धन की व्यवस्था के लिए एक विश्वसनीय योजना प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया। यदि प्रबंधन सोसायटी को चालू रखने के लिए एक स्पष्ट उपाय बताने में विफल रहता है तो प्राधिकरण के पास “बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002” की धारा 86 के तहत कार्यवाही शुरू करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होगा। धारा 86 बहु-राज्य सहकारी समितियों के परिसमापन से संबंधित है।
सुनवाई के दौरान सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के डी वी श्रीवास्तव, अध्यक्ष; करुणेश अवस्थी, एमडी; समर मंडल, सीए और अभिषेक दुआ , एडवोकेट उपस्थित थे। मामले पर अगली सुनवाई 6 नवंबर 2020 को होगी।
आदेश पत्र में उल्लेख किया गया था कि इस प्राधिकरण द्वारा पिछले 7-8 महीनों में 34,000 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। पाठकों को याद होगा कि सहारा समूह ने हाल ही में एक विज्ञापन प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि जमाकर्ताओं के भुगतान में देरी हो रही है।