हरियाणा राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (एचएससीएआरडीबी) के हरियाणा राज्य सहकारी एपेक्स बैंक लिमिटेड (हरको) के साथ विलय के संबंध में हरियाणा कांग्रेस के नेता और आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई ने राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को एक पत्र लिखा है। उन्होंने सीएम से किसानों के हित में हरको के साथ उक्त बैंक का विलय नहीं करने का आग्रह किया।
अपने पत्र में उन्होंने लिखा, “हरियाणा सरकार द्वारा एच.एस.सी.ए.आर.डी. बैंक जो कि किसानों में भूमि बंधक (लैंड मोर्टंगेज) बैंक के नाम से प्रचलित है, को हरको बैंक में विलय करने के उद्देश्य से एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी के गठन से बैंक अधिकारियों, कर्मचारियों, बैंक निदेशकों, सदस्यों, शेयर धारकों व ऋणी किसानों के मन में गहरी निराशा छा गई है। किसानों के बैंक को हरको बैंक में विलय करने पर बैंक की ऋण वसूली पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।”
“इस प्रकार के नकारात्मक निर्णय से बैंक की वसूली बिल्कुल शून्य स्तर पर पहुंचने की संभावना है एवं सरकार पर वित्तीय भार अधिक पड़ने की संभावना है। सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक नाबार्ड को बैंक गारंटी दी हुई है। दोनों ही परिस्थितियों (बैंक को सुचारू रूप से चलाने व विलय बंद करने) में नाबार्ड की देनदारियों को राज्य सरकार द्वारा ही वहन करना पड़ेगा”, उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से राज्य सरकार को चेताया।
उन्होंने पत्र की प्रति सोशल मीडिया के माध्यम से साझा की। पत्र के अनुसार, “ इस बैंक की स्थापना 1966 में हुई । बैंक के सदस्य जो बैंक के शेयर धारक भी हैं उनकी संख्या लगभग 7 लाख से अधिक हैं। यदि इस बैंक का विलय हरको बैंक के साथ किया जाता है तो बैंक के सदस्यों के साथ गंभीर समस्या होगी।”
एचएससीएआरडी बैंक साधारण ब्याज की दर से लंबी अवधी के लिए ऋण प्रदान करता है तो ब्याज पर ब्याज कभी भी वसूल नहीं करता। इस समय संपूर्ण हरियाणा प्रदेश में 71 शाखाएं कार्यरत हैं, जिनकी संख्या वर्ष 2005 में 86 थी इनमें से 15 शाखाओं का निकटतम शाखाओं में विलय हो चुका है। विलय हो चुकी इन शाखाओं की ऋण वसूली प्रतिकूल रूप से प्रभावित होकर न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई, क्योंकि वहां के ऋणी सदस्य किसानों में यह गलत संदेश प्रचारित हो गया कि बैंक बंद हो रहा है। परिणामस्वरूप ऋण वितरण व ऋण वसूली में भारी गिरावट दर्ज की गई।
उन्होंने बताया कि सभी बैंकों के स्वतंत्र व पृथक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स हरियाणा राज्य सहकारी अधिनियम 1984 के अधीन निर्वाचित हुए हैं। ये सभी जन प्रतिनिधि भी बैंक के विलय के खिलाफ एकजुट हैं। विलय राज्य के सहकारी आंदोलन को कमजोर करेगा।
“बैंक की वित्तीय स्थिति में पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है। वर्तमान में, बैंक में लगभग 800 कर्मचारी हैं। इसलिए, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि किसानों और कर्मचारियों के हित में बैंक को सुचारू रूप से चलाने के लिए निर्णय लें”, पत्र के आखिर में कहा गया।