को-ऑप एजुकेशन फंड में उच्चतम योगदानकर्ताओं में से एक होने के बावजूद भी एनसीयूआई की मतदाता सूची में अपना नाम नहीं आने से शहरी सहकारी बैंकों की शीर्ष संस्था “नेफकॉब” काफी निराश है। इसको लेकर ‘संस्था’ ने केंद्रीय रजिस्ट्रार से शिकायत की है।
नेफकॉब के एक निदेशक उदय जोशी ने कहा कि नेफकॉब सहकारी शिक्षा कोष में उच्चतम योगदानकर्ताओं में से एक है और संस्था ने समय पर एनसीयूआई को दस लाख रुपये का भुगतान किया है। इसके बावजूद भी नेफकॉब का नाम मतदाता सूची में नहीं है, उन्होंने कहा।
उच्चतम योगदानकर्ता श्रेणी से गवर्निंग काउंसिल के लिए चार नामांकन हैं और इस श्रेणी से जीसी में चार ही सीट हैं, जहां से इफको के दिलीप संघानी, कृभको के डॉ चंद्र पाल सिंह यादव, नेफेड के बिजेन्द्र सिंह और नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के मंगलजीत राय का जीतना तय है।
इस श्रेणी में नेफकॉब का नाम शामिल करने का मतलब, इस सीट में भी मतदान कराना पड़ेगा, जो पहले कभी नहीं हुआ। पता चला है कि अभी तक इस सूची में नेफकॉब का नाम शामिल नहीं किया गया है, जिसके चलते कई प्रतिनिधियों ने सेंट्रल रजिस्ट्रार से न्याय दिलाने की मांग की है।
इस बीच उदय जोशी ने कहा कि चुनाव अधिकारी ने नेफकॉब का नाम शामिल करने का दावा किया है, यदि एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी नेफकॉब के 10 लाख रुपये के भुगतान के बारे में जानकारी उन्हें लिखित रूप से देते हैं।
हालांकि, भारतीय सहकारिता को पता चला है कि सीई ने नेफकॉब के भुगतान के बारे में चुनाव अधिकारी को सूचित किया है। सूत्र ने बताया कि वास्तव में एनसीयूआई ने लिखित में आरओ को भेजा है। उन्होंने एनसीयूआई के नेताओं से नेफकॉब को सूची में शामिल करने की भी वकालत की है।
इस संदर्भ में कोई हल खोजने में असमर्थ, नेफकॉब अध्यक्ष ज्योंतिंद्र मेहता ने इस मुद्दे पर सेंट्रल रजिस्ट्रार का दरवाजा खटखटाया है।दरअसल, कई वरिष्ठ नेताओं ने पुरुषोत्तम रुपाला से मुलाकात कर उन्हें इसके बारे में अवगत कराया है।
बता दें कि नेफकॉब एनसीयूआई के बोर्ड में दो प्रतिनिधियों की नियुक्ति की योजना बना रही है, जिसमें यूसीबी श्रेणी से ज्योतिंद्र मेहता और सहकारी शिक्षा कोष से एच के पाटिल को एनसीयूआई बोर्ड में जगह दिलाने की योजना है, सूत्र ने बताया।
सूत्र बताते हैं कि सरकारी नामॉनि के रूप में ज्योतिन्द्र मेहता के एक बार फिर नियुक्त होने की संभावना कम है।
नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फ़ेडरेशंस के अध्यक्ष मंगल जीत राय और नेफकॉब के अध्यक्ष दोनों सहकार भारती के सदस्य हैं। इससे पहले, एनसीयूआई चुनाव सुर्खियों में था जब अमूल के नामांकन को दस्तावेज में विसंगतियों के आधार पर खारिज किया गया था।