मैसूर स्थित अधिवक्ता के एस नागराजू ने कृषि मंत्रालय में एक आरटीआई दायर की है। वह राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) के सचिव मोहन कुमार मिश्र की स्थिति जानना चाहते हैं।
मंत्रालय में केंद्रीय जन सूचना अधिकारी के आर मीणा को प्रेषित राजू के आरटीआई में पूछा गया है, “क्या मोहन मिश्र को राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद में समावेशन (absorption) के आधार पर सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है?”
यदि हाँ, तो क्या मिश्र के समावेशन के समय, तत्कालीन भर्ती नियमों ने ऐसी भर्ती के तरीकों में से एक के रूप में ‘समावेशन’ की अनुमति दी गयी थी? आरटीआई में संबंधित एनसीसीटी भर्ती नियमों की एक प्रति की मांग की गई है जो मिश्रा के समावेशन का समर्थन करती है।
आरटीआई में याद दिलाया गया है कि अपने समावेशन से ठीक पहले, मिश्र प्रतिनियुक्ति पर लघु अनुबंध के आधार पर सचिव एनसीसीटी के पद पर नियुक्त थे। डीओपीटी के संबंधित प्रावधान के तहत, क्या कोई व्यक्ति प्रतिनियुक्ति के कार्यकाल को जारी रखने के क्रम में उसी पद पर आसीन हो सकता है? यदि हाँ, तो संबंधित प्रावधान की एक प्रति प्रदान की जाए।
क्या मिश्र एकमात्र उम्मीदवार थे जिन्होंने समावेशन के लिए आवेदन किया था; क्या समावेशन के आधार पर सचिव एनसीसीटी के पद पर नियुक्ति के लिए बाहर से आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं?
इस तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या समावेशन के समय, मौजूदा एनसीसीटी भर्ती नियम में सचिव के पद पर भर्ती के लिए “समावेशन” को एक स्रोत के रूप में विहित किया गया है।
आरटीआई में उठाए गए महत्वपूर्ण बिंदुओं में से एक है कि क्या समावेशन प्रक्रिया शुरू करने से पहले मिश्र के नियोक्ता – नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (एनसीयूआइ) से “अनापत्ति प्रमाण-पत्र” प्राप्त किया गया था।
आरटीआई में एनसीयूआई से मिश्र के समावेशन के संबंध में प्राप्त “अनापत्ति प्रमाण-पत्र” की एक प्रति की मांग की गई है और पूछा गया है कि एनसीसीटी में मिश्र जिस पद पर हैं, क्या 7वें सीपीसी पे-मैट्रिक्स में उसके वेतनमान का लेवल 13 है?
क्या संघ लोक सेवा आयोग [यूपीएससी] और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा समावेशन प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।