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रुपी बैंक: एमएससी बैंक के प्रस्ताव पर चुप्पी बरकरार; दिशा-निर्देश अवधि बढ़ी

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रुपी बैंक पर जारी दिशा-निर्देशों की अवधि में विस्तार किया हैलेकिन संकटग्रस्त बैंक का विलय एमएससी बैंक के साथ करने पर आरबीआई फिलहाल चुप्पी साधे हुए है।

नाबार्ड के नियंत्रण में होने के नाते एमएससी बैंक भी रुपी सहकारी बैंक और सिटी कोऑपरेटिव बैंक के साथ प्रस्तावित विलय के लिए नाबार्ड की हरी झंडी का इंतजार कर रहा है।

पाठकों को याद होगा कि एमएससी बैंक चीनी मिलों और कृषि प्रसंस्करण इकाइयों जैसे कृषि उद्यमों को ऋण देता है। बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर के अनुसारइस क्षेत्र में बैंक का जोखिम 22,000 करोड़ रुपये हैजिसमें से 10,000 करोड़ रुपये चीनी क्षेत्र के लिए है और शेष कृषि क्षेत्र के लिए है। इस बीचबैंक ने जोखिम को कम करने की दृष्टि से खुदरा उधार देने का फैसला किया है।

अपने पिछले सप्ताह के आदेश मेंभारतीय रिज़र्व बैंक ने रुपी को-ऑपरेटिव बैंक पर लगे प्रतिबंधों को और तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है। इससे पहले के आदेशानुसार यह अवधि 30 नवंबर को समाप्त हो रही थी,  लेकिन अब यह अवधि 28 फरवरी 2021 तक बढ़ा दी गई है। बैंक की तरफ से एक ज्ञापन जारी कर यह जानकारी दी गई।

इस बीचरुपी बैंक ने विपरीत परिस्थितियों में भी वित्त वर्ष 2020 में 19.55 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ कमाया है। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों की संख्या में कटौती और प्रशासनिक खर्चों में कमी के कारण ही बैंक लाभ कमाने में सक्षम हुआ है।

पिछले वित्त वर्ष तक बैंक ने कुल 15.40 करोड़ रुपये की वसूली की है। बैंक का कुल डिपॉजिट 1,289.72 करोड़ रुपये का है। बैंक के साथ लगभग पांच लाख जमाकर्ता जुड़े हैं और 35 शाखाओं का नेटवर्क है।

रुपी बैंक के बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स के चेयरमैन सुधीर पंडित द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि संकटग्रस्त बैंक को महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के साथ शीघ्र विलय की उम्मीद थी।

इससे पहले आरबीआई ने एमएससी बैंक को वित्तीय स्थिति प्रस्तुत करने को कहा था और बैंक ने समय पर प्रस्तुत भी की लेकिन अभी तक रिजर्व बैंक इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है,  नाम न छापने की शर्त पर बैंक के एक अधिकारी ने कहा।

भारतीय सहकारिता को मिली जानकारी के मुताबिकएमएससी बैंक के साथ रुपी बैंक के विलय का प्रस्ताव आरबीआई के गलियारों में धूल फांक रहा है। हालांकि आरबीआई बार-बार यूसीबी पर जारी दिशा-निर्देशों में विस्तार कर रही है लेकिन विलय के प्रस्ताव पर अभी तक कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया है।

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