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आंध्र प्रदेश स्थित “एपी महेश अर्बन कोऑपरेटिव बैंक” के चुनाव के लिए मतदान रविवार यानि 20 दिसंबर को होगा। चुनाव से ठीक पहले रमेश बंग और भगवती बलदेवा की अगुवाई वाले दो पैनल एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
संस्थापक पैनल की अगुवाई रमेश बंग कर रहे है वहीं फाउन्डर पैनल का नेतृत्व भगवती बलदेवा कर रही हैं। दोनों पैनल से 15-15 उम्मीदार चुनावी मैदान में हैं। बैंक के बोर्ड में 15 निर्वाचित निदेशक होते हैं और इन 15 पदों के लिए कुल 35 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
अंतिम सूची के प्रकाशन के बाद, भगवती बलदेवा ने रमेश बंग और उनके सहयोगियों पर बैंक को हानि पहुंचाने और बंजारा हिल्स में नवनिर्मित बैंक मुख्यालय के निर्माण में पैसा कमाने का आरोप लगाया है।
बलदेवा ने यह भी आरोप लगाया कि बैंक पर पूर्ण नियंत्रण रखने के लिए बंग ने अपने रिश्तेदारों को निदेशक बनाया। अपने आरोप की पुष्टि करते हुए, उन्होंने कहा कि बंग ने अपनी बेटी सीएस सुमन हेड़ा को एक पेशेवर निदेशक के रूप में समायोजित किया था। इतना ही नहीं, उनके पैनल में अधिकतर उनके करीबी रिश्तेदार हैं। उनकी पत्नी के भाई श्रीनिवास असावा, चचेरा भाई श्रीगोपाल बंग सहित अन्य लोग उनके पैनल में हैं, बलदेवा ने कहा।
इन आरोपों का खंडन करते हुए, बंग ने पलटवार किया कि क्या मुख्यालय के निर्माण में पैसा कमाने का इनके पास कोई सबूत है। हम अपना काम बहुत ही पारदर्शी तरीके से कर रहे हैं और उनके सभी आरोप बेबुनियाद और गलत है”, उन्होंने कहा।
अपने रिश्तेदारों को निदेशक बनाए जाने पर बंग ने कहा, “हमारे पैनल के 15 उम्मीदवारों में से 10 पहले बलदेवा ग्रुप में थे, लेकिन हमारी टीम के काम को देखकर वे हमारे साथ जुड़े। वह बेबुनियाद आरोप लगा रही हैं क्योंकि हमारे सभी उम्मीदवार पेशेवर और उद्योगपति हैं”, उन्होंने जोर दिया।
बंग ने माना कि उनका केवल एक निदेशक कमल राठी ने बलदेवा के पैनल का दामन थामा है। उन्होंने पूछा कि अगर वह बैंक के हित में काम नहीं कर रहे हैं तो पुरानी टीम उनका समर्थन क्यों कर रही है?
बंग ने निवर्तमान निदेशकों में से एक ओम प्रकाश जाखोटिया को 6 करोड़ रुपये के ऋण देने के बारे में भी बताया, जिस पर श्रीमती बलदेवा ने आरबीआई के मानदंडों के खिलाफ देने का आरोप लगाया था। अपने आरोप में बलदेवा ने कहा कि 2016 में बंग ने जखोटिया को लगभग 6 करोड़ रुपये का ऋण दिया था जिसे बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में नील दिखाया गया था। जखोटिया ने चुनाव लड़ने के लिए पिछले महीने ही कर्ज चुकाया था।
अपने ऊपर लगे आरोपों को खंडन करते हुए, बंग ने कहा, “30 साल से जखोटिया हमारा एक मूल्यवान ग्राहक हैं और ऋण देने के लिए हमने आरबीआई से अनुमति ली थी। इसके अलावा, शीर्ष बैंक हमारे बैंक को ‘ए’ ग्रेड देता है, तो गलत ऋण बांटने और आरबीआई के मानदंडों के उल्लंघन का सवाल ही नहीं उठता”, उन्होंने कहा।
बलदेवा ने कहा कि बंग और उनकी टीम 2020 तक 10 हजार करोड़ रुपये के व्यापार को हासिल करने के अपने वादे को पूरा नहीं कर पाई। आज बैंक का व्यवसाय मिश्रण केवल 4 हजार करोड़ रुपये है। प्रबंधन ने बैंक को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास नहीं किया, बलदेवा ने शिकायत की।
बंग ने फिर पलटवार करते हुए कहा, “क्या वह हमसे किसी को बड़ा कर्ज देने के लिए कह रही है, जैसा कि पीएमसी बैंक ने किया? एक बड़ा व्यवसायिक मिश्रण हमारा लक्ष्य नहीं है, बल्कि ग्राहकों का विश्वास प्राप्त करना हमारे एजेंडे में सबसे ऊपर है”।
“जब मैं 2005 में चेयरमैन बना था तब कारोबार 500 करोड़ रुपये से अधिक था और आज व्यापार 4,400 करोड़ रुपये का है। 2015 में सकल एनपीए 15 प्रतिशत था और अब यह 3 प्रतिशत से कम है”, बंग ने जोर देकर कहा।
पाठकों को याद होगा कि नामांकन पत्र 7 दिसंबर को दाखिल किए गए थे और नामांकन की सूची 9 दिसंबर 2020 को प्रकाशित हुई थी। मतदान 20 दिसंबर को होगा और मतों की गिनती और परिणाम की घोषणा 21 दिसंबर 2020 को की जाएगी।