गुजरात के मुख्यमंत्री विजयभाई रूपानी ने राज्य में “आत्मनिर्भर गुजरात सहाय योजना” (एजीएसवाई) के कार्यान्वयन में सराहनीय कार्य करने के लिए राज्य के सहकारी नेताओं को सम्मानित किया। यह सम्मान हाल ही में गांधीनगर में आयोजित एक बैठक में किया गाया।
इस अवसर पर गुजरात शहरी सहकारी बैंक महासंघ के अध्यक्ष ज्योतिंद्रभाई मेहता, गुजरात राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष अजयभाई पटेल और उत्तर गुजरात शहरी सहकारी बैंक महासंघ के अध्यक्ष कांतिभाई पटेल को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
सोशल मीडिया के माध्यम से खबर साझा करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री ने लिखा, “मुख्यमंत्री महिला उत्कर्ष योजना’ की समझ और कार्यान्वयन हेतु गांधीनगर में बैठक आयोजित की गई । सहयोग के दृढ़ संकल्प का मूल मंत्र छोटे लोगों की मदद करना है।”
“मुख्यमंत्री महिला उत्कर्ष योजना’ में प्रदेश की 10 लाख बहनों को 1 लाख का समूह बनाकर 1000 करोड़ रुपये का ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है। आत्म निर्भर गुजरात पैकेज के तहत प्रथम तीन सहकारी बैंकों के अध्यक्ष को ट्रॉफी व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया”, मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर-वाल पर लिखा।
उन्होंने आगे लिखा, “इस मौके पर गुजरात अर्बन ऑपरेटिव बैंक फेडरेशन के अध्यक्ष श्री ज्योतिन्द्रभाई मेहता, गुजरात राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री अजयभाई पटेल और उत्तर गुजरात शहरी सहकारी बैंक महासंघ के अध्यक्ष श्री कांतिभाई पटेल को सम्मानित किया गया। कोरोना काल में सहकारी बैंक आम लोगों को लोन देने में अग्रणी रहे। इतिहास इसका ध्यान रखेगा।”
पाठकों को याद होगा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य के यूसीबी ने छोटे व्यापारियों की मदद करने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर गुजरात सहाय योजना के कार्यान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इस योजना के तहत राज्य के यूसीबी ने छोटे व्यापारियों, कुशल श्रमिकों, ऑटो रिक्शा मालिकों, नाइयों, पटरी विक्रेताओं और अन्य लोगों के हितों को मामूली ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया था।
लॉकडाउन के दौरान गुजरात सरकार ने एक योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत लोगों को 2 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर बैंकों से 1 लाख रुपये का गारंटी-मुक्त ऋण दिया गया। इस योजना को सरकार जिला, अनुसूचित और सहकारी बैंकों के साथ चर्चा के बाद लेकर आई थी।
कहा जाता है कि यह विचार नेफकॉब के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के एक पुराने सहयोगी ज्योतिंद्र मेहता का है। उन्होंने ही एक लाख रुपये की राशि का सुझाव दिया था, जो छोटे व्यवसाय दोबारा शुरू करने के लिए उपयुक्त होगी।