कोविड-19 से संबंधित चुनौतियों के बावजूद, चेन्नई स्थित रेपेट्रेट्स कोऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमेंट (रेप्को) बैंक का कारोबार चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 16,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया।
“प्रतिकूल बाजार स्थितियों और कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद भी हम चालू वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले 16 हजार करोड़ रुपये के कारोबार को हासिल करने में सफल हुए हैं”, बैंक की प्रबंध निदेशक आर.एस. इसाबेला ने भारतीय सहकारिता संवाददाता से फोन पर कहा।
उन्होंने आगे कहा, “अब स्थिति नियंत्रण में है और ऋण वितरण भी शुरू हो गया है। हम नए-नए कर्जदारों को बैंक से जोड़ने के लिए कई नई योजनाएं शुरू कर रहे हैं और फिलहाल हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।”
2019-20 वित्तीय वर्ष के प्रदर्शन पर इसाबेला ने कहा, “लॉकडाउन के कारण ऋणों का पुनर्भुगतान नहीं होने के कारण, 2019-20 वित्तीय वर्ष थोड़ा सा चुनौतीपूर्ण रहा। हमे इसके चलते उच्च प्रावधान करने पड़े और पहली बार हमारा मुनाफा घटा है। आमतौर पर उधारकर्ता मार्च के अंतिम सप्ताह में ऋण की राशि का भुगतान करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण वसूली नहीं हो पाई”, उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे कहा, “हमारा डिपॉजिट 8,727 करोड़ रुपये से घटकर 8,197 करोड़ रुपये हो गया जबकि ऋण और अग्रिम 2019-20 के वित्तीय वर्ष में 6,503 करोड़ रुपये से बढ़कर 7,005 करोड़ रुपये हो गई। हमारे कुल व्यापर में पिछले साल के मुकाबले वित्त 2019-20 में थोड़ी गिरावट आई है। 31 मार्च 2020 तक बैंक का कुल कारोबार 15,202 करोड़ रुपये पर रुका”, रेप्को बैंक के एमडी ने कहा।
बैंक का शुद्ध लाभ 107 करोड़ रुपये से घटकर 56 करोड़ रुपये हो गया। शुद्ध एनपीए और सकल एनपीए 9.18% और 3.51% रहा।
वर्तमान में, बैंक की दक्षिणी राज्यों में 108 शाखाओं का नेटवर्क है और रेप्को बैंक ने पिछले वित्तीय वर्ष कोई शाखा नहीं खोली। बैंक का नेट वर्थ 780 करोड़ रुपये का है और 10 लाख से अधिक ग्राहकों इससे जुड़े हैं।
बैंक महिलाओं को सशक्त बनाने में भी सक्रिय है। बैंक महिलाओं को जमा राशि पर विशेष लाभ दे रहा है।
बैंक की स्थापना 1969 में श्रीलंका, बर्मा और वियतनाम से आए लोगों की मदद करने के उद्देश्य के साथ की गई थी।