पश्चिमी क्षेत्र के सहकारी बैंकों को संबोधित एक पत्र में भारतीय रिजर्व बैंक ने शेयर पूंजी की वापसी के मुद्दे पर आंशिक और अस्थायी राहत देने की घोषणा की है।
सहकार भारती के वरिष्ठ नेता और आरबीआई सेंट्रल बोर्ड के सदस्य सतीश मराठे ने इस निर्णय का स्वागत किया है। इसे अंतरिम राहत बताते हुए मराठे ने आरबीआई की चिट्ठी को फेसबुक पर साझा किया।
आरबीआई की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया कि, पश्चिमी क्षेत्र के सिर्फ उन्हीं शहरी सहकारी बैंकों को ऐसा करने की मंजूरी दी गयी है, जिनकी पूंजी जोखिम वाली संपत्ति के (सीआरएआर) कम से कम नौ प्रतिशत से अधिक है।
मुख्य महाप्रबंधक उमा शंकर के द्वारा शहरी सहकारी बैंकों को बुधवार को भेजे गये एक पत्र में कहा गया, ‘‘अंतरिम आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि जिन शहरी सहकारी बैंकों का सीआरएआर नौ प्रतिशत से अधिक है, उन्हें अनुरोध करने पर सदस्यों अथवा मृत सदस्यों के नामांकितों को शेयर पूंजी वापस करने की मंजूरी दी जाये।”
इससे पहले कई सहकारी नेताओं ने बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के इस प्रावधान की जमकर आलोचना की थी, जिसमें सहकारी बैंकों को आरबीआई की अनुमति के बिना शेयर पूंजी वापस करने से वंचित किया गया था।
जो सहकारी नेता इस प्रावधान के विरुद्ध है, उन्होंने तर्क दिया कि यूसीबी को मार्केट से शेयर पूंजी जुटाने की अनुमति सीधे तौर पर सहकारी चरित्र को नुकसान पहुंचाना है।
संशोधित अधिनियम के अन्य प्रावधानों पर भी सहकारी नेताओं ने सवाल खड़े किये हैं, जिसमें कोई भी संस्था सहकारी बैंक का अधिग्रहण कर सकती है। बीआर अधिनियम में संशोधन के मुताबिक भारतीय रिज़र्व बैंक सहकारी बैंक के विलय या समामेलन की रूपरेखा तैयार कर सकता है। इस प्रावधान पर भी सहकारी नेताओं ने अपनी आवाज उठाई है।