डेयरी फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा कि डेयरी किसानों के साथ एग्री किसानों के संदर्भ में अलग तरह से व्यवहार किया जाता है।
उन्होंने सरकार से 2021 के आगामी केंद्रीय बजट में डेयरी किसानों को समान मान्यता देेने की मांग की है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए, सोढ़ी ने कहा कि एग्री किसानों पर अपनी जमीन होती है जबकि अधिकांश डेयरी किसानों के पास कुछ नहीं है। एक मोटा आंकड़े देते हुए उन्होंने कहा कि देश में 100 मिलियन किसान हैं और उनमें से 80 प्रतिशत भूमिहीन या सीमांत किसान हैं।
जीसीएमएमएफ एमडी ने यह भी बताया कि पशुपालन कृषि की तुलना में राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में अधिक योगदान दे रहा है। उन्होंने दोनों के बीच समानता प्रदान करने की मांग की।
रुझानों की बात करें तो सोढ़ी ने महसूस किया कि हर साल जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी कम होती जा रही है, लेकिन पशुपालन के मामले में यह बिल्कुल विपरीत है।