एनसीडीसी एमडी सुदीप नायक के हाल ही के दौरे से मुंबई स्थित शुश्रूषा सिटिजन को-ऑपरेटिव अस्पताल में उम्मीद की किरण जगी है। यह अस्पताल जरूरतमंद लोगों की सेवा करने में एक अद्भुत काम कर रहा है।
एनसीडीसी की आयुष्मान सहकार योजना से प्रोत्साहित होकर को-ऑपरेटिव अस्पताल ने बड़ी योजना बनाई है। पाठकों को याद होगा कि आयुष्मान सहकार योजना के तहत राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवा (हेल्थकेयर) के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए सहकारी समितियों को 10,000 करोड़ रुपये के ऋण उपलब्ध कराएगा। यह योजना हॉस्पिटल, हेल्थकेयर व एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना, आधुनिकीकरण, विस्तार, मरम्मत, रिनोवेशन को कवर करेगी. यह सहकारी अस्पतालों की मेडिकल व आयुष शिक्षा शुरू करने में मदद भी करेगी।
शुश्रूषा सिटिजन को-ऑपरेटिव अस्पताल की स्थापना 1969 हुई थी और इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। अस्पताल में पीएफटी और सीपीईटी प्रयोगशाला से लेकर ब्लड बैंक और पैथोलॉजी के साथ-साथ एक्स-रे विभाग, आईसीयू, डायलिसिस यूनिट समेत अन्य विभाग हैं।
मुंबई में भारतीय सहकारिता संवाददाता से बात करते हुए, पद्म पुरस्कार विजेता और अस्पताल के पूर्व अध्यक्ष डॉ एन एस लाउड ने कहा, “हमारा अस्पताल सभी नवीनतम सुविधाओं से लैस है और एक छत के नीचे हम शेयरधारकों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। जब अस्पताल की स्थापना हुई थी तब 1500 शेयरधारक जुड़े थे और शेयर मूल्य 100 रुपये था, लेकिन अब 23 हजार शेयरधारक हैं और शेयर मूल्य 10 हजार है।”
“स्थापना के समय, अस्पताल दो मंजिला था लेकिन अब यह छह मंजिला है और विक्रोली में एक शाखा है। हम अपने सदस्यों को विशेष रियायतें दे रहे हैं जैसे परामर्श शुल्क में 25 प्रतिशत और बेड बुकिंग पर 10 प्रतिशत छूट दे रहे हैं”, लाउड ने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि, हमारे दादर स्थित मुख्यालय की क्षमता 126 बेड की है और विक्रोली शाखा की क्षमता 140 बेड की है। लॉकडाउन के दौरान हमने कोविड -19 से निपटने के लिए अपनी विक्रोली शाखा बीएमसी को दी थी। हमारी शाखा 35,000 वर्ग फुट में फैली हुई है और इसका उद्घाटन महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने किया था। शाखा का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था और 2018 में पूरा हो गया था “, उन्होंने इस संवाददाता को सूचित किया।
लाउड ने दुखी भाव से कहा कि कोरोना ने उनके व्यवसाय को बुरी तरह से प्रभावित किया है। ” कोविड के मद्देजनर अस्पताल को नुकसान झेलना पड़ा है और यहां तक कि निगम और राज्य सरकार ने भी कोई मदद नहीं की। फिलहाल हम संकट से उबरने के लिए रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा कारोबार लगभग 5 करोड़ रुपये का था, लेकिन कोविड -19 के कारण यह घटकर केवल 2 करोड़ रुपये रह गया।”
अस्पताल के बोर्ड में 17 लोग शामिल हैं जिसमें चार-चार सीटें डॉक्टरों और गैर-डॉक्टरों के लिए आरक्षित हैं। 1-1 सीटें ओबीसी और एससी/एसटी और अन्य के लिए आरक्षित हैं।