भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों (यूएसबी) के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय लिया है, जो इस क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए एक मध्यम अवधि का मसौदा प्रदान करेगा।
यह समिति सभी हितधारकों को शामिल करेगी ताकि एक मध्यम अवधि का रोड मैप प्रदान किया जा सके। मध्यम अवधि के रोडमैप से सेक्टर को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। यह शहरी सहकारी बैंकों के तेजी से पुनर्वास को भी सक्षम करेगा। समिति इन संस्थाओं से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं की भी जांच करेगी।
यह समिति बैंकिंग नियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के प्रावधानों के अनुसार स्थापित की जा रही है। यह अधिनियम 26 जून, 2020 से प्राथमिक या शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) पर लागू हो गया था।
इस अधिनियम में संशोधन से शहरी सहकारी बैंकों और वाणिज्यिक बैंकों के बीच समान नियामक और पर्यवेक्षी शक्तियां आ गई हैं।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र की बढ़ती भूमिका, अंतिम छोर तक कर्ज पहुंचाने तथा उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत ढांचे की जरूरत है। इसके लिए आरबीआई एक परामर्श दस्तावेज जारी करेगा।
दास ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि माइक्रोफाइनेंस संस्थाएं अंतिम जरूरतमंदों तक कर्ज पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों (यूएसबी) के लिए एक विशेषज्ञ समिति की भी घोषणा की, जो इस क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए एक मध्यम अवधि का मसौदा प्रदान करेगा।