एनसीयूआई में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद मीडिया के साथ बातचीत में, सुधीर महाजन ने शिक्षा प्राप्त करने से लेकर आईएएस बनने तक का सफर भारतीय सहकारिता के साथ साझा किया। महाजन ने कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की है।
रिसर्च साइंटिस्ट बनने की महत्वाकांक्षा रखने वाले महाजन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में बैचलर ऑफ साइंस कोर्स में दाख़िला लिया था। लेकिन मां को कैंसर होने की खबर ने उन्हें रेडिएशन विज्ञान में एक उन्नत पाठ्यक्रम का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।
“मैंने अपनी मां पर रेडिएशन का नकारात्मक प्रभाव देखा और मैं रिसर्च के माध्यम से नए तरीके के साथ आना चाहता था जिसका कुप्रभाव कम हो”, महाजन ने कहा।
महाजन ने जीएनयू में एम.एससी (रेडिएशन) कोर्स में दाख़िला लिया था। बाद में, उन्होंने सरकारी अधिकारी होने के बावजूद भी जेएनयू से ही पीएचडी की। इसके बाद, एनसीयूआई के नव नियुक्त सीई ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी भी की।
“मुझे केवल इस बात का पछतावा है कि मैं एमबीए की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई क्योंकि सिविल सेवाओं में व्यस्त होने के कारण मुझे बीच में ही एमबीए छोड़ना पड़ा”, उन्होंने बताया।
महाजन ने वर्ष 1987 में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करके सरकारी सेवा में प्रवेश किया। वह दानिक्स में शामिल हो गए, जिसका मतलब है कि वह यूटी कैडर के अधिकारी बने। उन्हें 2005 में आईएएस कैडर मिला, जिसे एयूगुम के रूप में जाना जाता है।
“हालांकि मुझे सहकारिता के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मैं इस क्षेत्र के बारे में अज्ञानी हूं”, महाजन ने कहा, जिन्होंने दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सरकार में सहकारिता मंत्री राज कुमार चौहान के साथ काम किया है।
ज्योनिंग के दूसरे दिन महाजन को कर्मचारियों ने एनसीयूआई परिसर का दौरा कराया। उन्होंने अपने दौरे के दौरान एनसीसीई केंद्र का दौरा किया जो न केवल देश के सहकारी नेताओं को प्रशिक्षण दे रहा है बल्कि सार्क देशों में भी प्रशिक्षण प्रदान करने में सक्रिय है। उन्होंने एनसीयूआई छात्रावास और सभागार का भी दौरा किया।