भारतीय सहकारिता आंदोलन में एक नए अध्याय की शुरुआत करते हुए, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने सोमवार को दिल्ली स्थित एनसीयूआई सभागार में ‘कोऑपरेटिव डेवलपमेंट फोरम’ (सीडीएफ) का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया।
इस मौके पर राज्यसभा सांसद सुरेश प्रभु, सहकार भारती के नेता सतीश मराठे, उदय जोशी, एनसीयूआई अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव, इफको एमडी डॉ यू.एस अवस्थी समेत दिग्गज सहकारी नेता उपस्थित थें।
सीडीएफ के अध्यक्ष सुरेश प्रभु ने कहा कि यह फोरम सहकारी आंदोलन के लिए गेम चेंजर साबित होगा और भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा।
सीडीएफ के लक्ष्य और उद्देश्यों पर विस्तार से बात करते हुए सुरेश प्रभु ने कहा, प्रधानमंत्री का भारत को विकसित राष्ट्रों की शीर्ष श्रेणी में लाने का सपना सहकारी मॉडल के माध्यम से साकार हो सकता है और सीडीएफ इसमें अपना समर्थन एवं सहयोग देगा। इसके लिए सीडीएफ की टीम ने कृषि मंत्री से लेकर वित्त मंत्री और नाबार्ड के अध्यक्ष सहित सभी हितधारकों के साथ पूर्व-परामर्श आयोजित किया है, प्रभु ने बताया।
सीडीएफ अपने आप को उच्च स्तर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखता है और यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि पूर्व में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के रूप में सुरेश प्रभु ने अपने कार्यकाल के दौरान काफी अच्छा काम किया था। प्रभु ने आरएसएस के नव-नियुक्त सचिव दत्तात्रेय होसबले के साथ भी आर्थिक प्रशासनिक शासन के मुद्दे पर भी चर्चा की है।
प्रभु ने कहा कि सीडीएफ का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को विकसित करने के लिए एक सक्षम ढांचा तैयार करना है। सीडीएफ सहकारी क्षेत्र से जुड़ी हर एक समस्या पर ध्यान केंद्रित करेगा। “हम समय-समय पर सहकारी नेताओं के साथ बैठकें करेंगे और सहकारी क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को संबोधित करेंगे।”
“पैक्स के माध्यम से सीडीएफ उन सभी केंद्रीय योजनाओं के ठीक ढंग से कार्यान्वयन के लिए भी काम करेगा, जिनकी संख्या देश में लगभग एक लाख है और सभी गांवों में इनकी पहुंच है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान में पैक्स को केंद्रीय योजनाओं से जोड़ना हमारे एजेंडे में है”, प्रभु ने भविष्य की संभावनाओं पर जोर देते हुए कहा।
सीडीएफ की अन्य प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध करते हुए, प्रभु ने कहा कि को-ऑप क्षेत्र के बारे में सकारात्मक छवि बनाना सीडीएफ का महत्वपूर्ण कार्य है। राज्यों में एक समान सहकारी कानूनों को लागू कराने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने क्षेत्र के विधायकों की मदद से प्रत्येक राज्य मुख्यालय में एक सीडीएफ शाखा कार्यालय स्थापित करने की भी घोषणा की।
सीडीएफ का औपचारिक रूप से उद्घाटन करते हुए, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने खुलासा किया कि हाल ही में हुई एक बैठक में सहकारी समितियों को मजबूत करने के मुद्दे पर सरकार ने विचार किया है। सभी सरकारी समर्थन का आश्वासन देते हुए, रूपाला ने सहकारी नेताओं से कहा कि वे परिवर्तन के दूत बनें और फसल कटाई के बाद के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर फंड जैसी योजनाओं का फायदा उठाएं।
रूपाला ने कहा कि वह प्रत्येक को-ऑप सेक्टर जैसे कि डेयरी, मत्स्य, चीनी या स्पिनिंग क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार डीसीसीबी विलय के मुद्दे पर विचार करेगी और उन्हें बचाने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाई जाएगी। रूपाला ने सहकारी नेताओं से युवाओं को इस क्षेत्र से जोड़ने के लिए विचार मंथन करने को कहा।
अपने भाषण में कृभको के अध्यक्ष डॉ चन्द्रपाल ने कहा कि सीडीएफ के माध्यम से सहकारी नेताओं के कई संदेहों को हल किया जा सकता है। उन्होंने हाल ही में संशोधित बीआर एक्ट के मामले का हवाला दिया और यह भी कहा कि सीडीएफ 97वें सीएए के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाए।
मराठे ने संक्षेप में को-ऑप बैंकों के विलय और डीसीसीबी को समाप्त करने के मुद्दे पर बात की जबकि उदय जोशी ने इस कार्यक्रम का संचालन किया।
बता दें कि इफको के एमडी डॉ यू एस अवस्थी ने सीडीएफ के विचार को सहकार भारती की पूर्व में आयोजित एक अभासी बैठक में रखा था। दर्शकों में आइसीए-एपी आरडी बालू अय्यर; डीएन ठाकुर, एनसीयूआई के सीई सुधीर महाजन, सहकार भारती के अध्यक्ष रमेश वैद्य, संजय पाचपोर, इफको के मार्केटिंग हेड योगेंद्र कुमार, सूरत डीसीसीबी के अध्यक्ष नरेशभाई पटेल, उत्तराखंड एससीबी अध्यक्ष दान सिंह रावत सहित कई सहकारी नेता मौजूद थे।