भारतीय रिज़र्व बैंक ने महाराष्ट्र के अमरावती जिले में स्थित भाग्योदय फ्रेंड्स अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के लाइसेंस को रद्द कर दिया है।
इसके परिणामस्वरूप, बैंक 22 अप्रैल 2021 के कारोबार की समाप्ति से बैंकिंग कारोबार संचालित नहीं करेगा, आरबीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा।
इस बीच आरबीआई ने सहकारी आयुक्त एवं सहकारी समितियों, महाराष्ट्र के रजिस्ट्रार से बैंक को बंद करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का अनुरोध किया है।
रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस इसलिए रद्द किया है क्योंकि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावना नहीं है। इस प्रकार, यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का पालन नहीं करता है।
बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 22 (3) (ए), 22 (3) (बी), 22 (3) (सी), 22 (3) (डी) और 22 (3) (ई) की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है। बैंक को जारी रखना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है।
यदि बैंक को आगे अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो सार्वजनिक हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, आरबीआई ने स्पष्ट किया।
इसके लाइसेंस को रद्द करने के परिणामस्वरूप, भाग्योदय फ्रेंड्स अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वारूद, जिला-अमरावती, महाराष्ट्र को तत्काल प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5(बी) में परिभाषित ‘बैंकिंग’ कारोबार जिसमें जमाराशि को स्वीकार करना और जमाराशि की चुकौती शामिल है, करने पर प्रतिबंध है।
लाइसेंस रद्द करने और परिसमापन कार्यवाही शुरू करने के साथ, डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अनुसार, भाग्योदय फ्रेंड्स अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वारूद, जिला-अमरावती, महाराष्ट्र के जमाकर्ताओं के भुगतान की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा।
बैंक द्वारा प्रस्तुत डाटा के अनुसार, 98% से अधिक जमाकर्ता को अपनी जमा राशि की पूरी राशि निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से प्राप्त होगी।
परिसमापन के बाद, प्रत्येक जमाकर्ता को डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अधीन निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से अपनी जमाराशि का 5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) की मौद्रिक सीमा तक की जमाराशि बीमा दावा राशि का अधिकार प्राप्त होगा, प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।