गुजरात स्थित मेहसाणा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक में वित्तीय अनियमितता से जुड़ी खबरों के बीच, सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार विवेक अग्रवाल ने मामले को सुलझाने के लिए विपल गंडा, एडवोकेट को आर्बिट्रेटर के रूप में नियुक्त किया है।
आर्बिट्रेटर विपल गंडा को 90 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय रजिस्ट्रार के कार्यालय में प्रस्तुत करने को कहा गया है। बता दें, मामला मेहसाणा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष और कुछ निदेशकों द्वारा धन के दुरुपयोग से संबंधित है।
इस संदर्भ में कुछ माह पहले बैंक के एक शेयरधारक किरीतभाई पटेल ने अनियमितता से जुड़ी शिकायत केंद्रीय रजिस्ट्रार को की थी। अपनी शिकायत में उन्होंने यूसीबी के वर्तमान अध्यक्ष गणपतभाई पटेल और सीईओ विनोद एम पटेल समेत बोर्ड के अन्य सदस्यों पर धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
हालांकि केंद्रीय रजिस्ट्रार ने दोनों पक्षों के बीच मामले को सुलझाने की काफी कोशिश की, लेकिन आखिर में उन्हें मामले पर मध्यस्थता के लिए एक आर्बिट्रेटर नियुक्त करना पड़ा।
“क्या सेवानिवृत्ति के बाद मुख्य कार्यकारी अधिकारी- विनोद पटेल की नियुक्ति बैंक के उप-नियमों में निर्धारित नियमों का उल्लंघन है; क्या ऋण आरबीआई के दिशानिर्देशों को नियम विरुद्ध दिया गया; क्या आरबीआई की रिपोर्ट में दिनांक 06.12.2018 में उल्लेखित बैंक के अध्यक्ष सहित बोर्ड में पुन: निर्वाचित होने वाले निदेशक सितंबर 2019 में हुए चुनाव लड़ने के योग्य थे; क्या चुनाव प्रक्रिया एमएससीएस अधिनियम, 2002 के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुरूप थी”, अपने ऑर्डर में केंद्रीय रजिस्ट्रार ने इन मुद्दों का उल्लेख किया है।
मध्यस्थ की नियुक्ति से संबंधित आदेश पिछले सप्ताह जारी किया गया था। आदेश में आरबीआई द्वारा दी गयी मेहसाणा यूसीबी में निदेशकों से संबंधित खातों की भी जानकारी है, जिसमें बैंक द्वारा अध्यक्ष/निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को क्रेडिट दिया गया था।
सूची में आठ फर्मों के नाम शामिल हैं, जो बैंक के अध्यक्ष गणपतभाई पटेल, निदेशक चंदूभाई पटेल, नरोत्तमभाई पटेल, सोमाभाई पटेल और अंबालाल पटेल से जुड़ी हैं।
“भारतीयसहकारिता” से बातचीत में शेयधारक किरीटभाई पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा, ”उन्हें बैंक से कैश क्रेडिट लिमिट मिली थी जो कि आरबीआई के मानदंडों के खिलाफ है। उन्होंने न तो यूसीबी को पूंजीगत धन का भुगतान किया है और न ही उस पर ब्याज का भुगतान किया है”।
पाठकों को याद होगा कि आरबीआई ने 2019 में दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने हेतु मेहसाणा शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड पर 5 करोड़ रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया था।