सहकार भारती ने संस्थागत निवेशकों के लिए जमा बीमा की सीमा को 25 लाख रुपये तक बढ़ाने का आह्वान किया है। दरअसल सरकार डीआईसीजीसी कानून में संशोधन का विधेयक संसद के मानसून सत्र में पेश कर सकती है और इसके मद्दनेजर सहकार भारती के लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
सहकार भारती के संस्थापक सदस्यों में से एक और आरबीआई केंद्रीय बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे ने भारतीय सहकारिता से कहा, “धोखाधड़ी से प्रभावित बैंक, जैसे पीएमसी बैंक लिमिटेड, पेन अर्बन को-ऑप बैंक लिमिटेड, आदि के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए हमने डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 में संस्थागत जमाकर्ताओं के लिए एक अलग जमा बीमा सीमा के लिए विशेष प्रावधान की मांग की थी”।
सबसे पहले, संस्थागत निवेशकों के लिए जमा बीमा सीमा को बढ़ाकर 25,00,000 रुपये करना होगा। दूसरा, यदि कोई संबंधित बैंक जमाकर्ता के 5 लाख रुपये से अधिक के पैसे को और अधिक सुरक्षा देना चाहता है, तो इसके लिए प्रावधान होना चाहिए, उन्होंने मांग की।
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में धोखाधड़ी प्रभावित बैंकों के जमाकर्ताओं को अपनी गाढ़ी कमाई को वापस पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसलिए, धन समय पर उपलब्ध हो इसके लिए कोई नीति तैयार की जानी चाहिए। और इस संदर्भ में आरबीआई को एक रणनीति तैयार करनी चाहिए क्योंकि शीर्ष बैंक को किसी भी बैंक के विलय, पुनरुद्धार या लाइसेंस को रद्द करने का अधिकार है”, मराठे ने फोन पर कहा।
भारत के बैंकिंग क्षेत्र की रूपरेखा को ध्यान में रखते हुए, यह अनुमान लगाया गया है कि 75% बैंक (पीएसयू या विदेशी बैंक) के कभी विफल होने की संभावना नहीं है और इसलिए, भले ही जमा बीमा सीमाएं बढ़ा दी जाएँ, वर्तमान जमा बीमा प्रीमियम को बढ़ाने का कोई मामला नहीं बनता है।
बताया जा रहा है कि पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक में बड़े पैमाने पर घोटाले के बीच सहकारी बैंकों के जमा के मामले में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन को लगभग 14,100 करोड़ रुपये का कुल दावा प्राप्त हुआ है।
पाठकों को याद होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार ने पिछले साल बैंक ग्राहकों के लिए जमा बीमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया था।
मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि सरकार डीआईसीजीसी अधिनियम में संशोधन कर सकती है ताकि खाताधारकों को जमा बीमा कवर की सीमा तक धन की परेशानी मुक्त उपलब्धता प्रदान की जा सके।
डीआइसीजीसी अधिनियम, 1961 में संशोधन वित्त मंत्री द्वारा की गई एक महत्वपूर्ण घोषणा है। कहा जा रहा है कि यह विधेयक संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। डीआइसीजीसी, भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो बैंक जमा पर बीमा कवर प्रदान करती है।