पुणे स्थित वैकुंठ मेहता नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कोऑपरेटिव मैनेजमेंट (वेमनिकॉम) ने हाल ही में “शहरी सहकारी बैंक में संपत्ति और देयता प्रबंधन” विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया था।
कार्यक्रम का उद्घाटन नवनियुक्त निदेशक डॉ हेमा यादव ने किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 16 सहकारी बैंकों से 24 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रतिभागी शहरी बैंकों में सीईओ, एजीएम, महाप्रबंधक, उप प्रबंधक, प्रबंधक, वित्त प्रबंधक, ईडीपी अधिकारी और वरिष्ठ लेखा अधिकारी जैसे पद पर कार्यरत हैं, वेमनिकॉम की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में महाराष्ट्र के शहरी सहकारी बैंकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में एनपीए प्रबंधन और शहरी सहकारी बैंकों का लाभ बढ़ाने के विभिन्न तरीकों के बारे में विचार-विमर्श हुआ।
प्रेस विज्ञप्ति मेंं आगे बताया गया कि, इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में, हमने “संपत्ति और देयता प्रबंधन” से संबंधित तीन दिनों में कुल छह सत्र आयोजित किए हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बैंकों में जोखिम की पहचान, विभिन्न विवरणों और तैयारी की समझ के साथ परिसंपत्तियों और दायित्व का प्रबंधन, बैंक विवरण पर ब्याज संवेदनशीलता प्रभाव, बैंकों के प्रमुख कार्यकारी द्वारा इन विभिन्न विवरणों को निर्णय लेने के साथ-साथ तरलता जोखिम प्रबंधन में कैसे उपयोग, जैसे विषयों को शामिल किया गया।
अन्य मुद्दों में क्रेडिट जोखिम और तरलता जोखिम का प्रबंधन करने के लिए व्यवहार संबंधी अध्ययन, परिसंपत्ति देयता से संबंधित आरबीआई दिशानिर्देश और एनपीए से बचने के लिए विभिन्न सावधानियां, आदि शामिल हैं। कासा प्रबंधन और सरफेसी अधिनियम को भी चर्चा में शामिल किया गया था।
प्रशिक्षण कार्यक्रम डॉ. पल्लवी इंगले (सहायक प्रोफेसर, वामनीकॉम), डॉ डीवी देशपांडे (पूर्व निदेशक-बर्ड, लखनऊ), डॉ एमएल सुखदेव (पूर्व-मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड) और श्री एम. शानवारे (बीओएम सीईओ जनसेवा बैंक में पूर्व मुख्य प्रबंधक) के संबोधन के साथ सफल रहा।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. पल्लवी इंगले द्वारा किया गया।