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सोमवार को आभासी रूप आयोजित इफको की 50वीं वार्षिक आम बैठक के अवसर पर सहकारी नेताओं को सहकारिता क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान “सहकारिता रत्न” और “सहकारिता बंधु” पुरस्कार से नवाजा गया। पुरस्कार वर्ष 2018-19 और 2019-20 के लिए एक साथ दिए गए।
वर्ष 2018-19 के लिए इफको ने “सहकारिता रत्न” पुरस्कार अमर डेयरी के अध्यक्ष अश्विन.एन सावलिया और “सहकारिता बंधु” पुरस्कार एस आर रंगमूर्ति को दिया।
वहीं वर्ष 2019-20 के लिए “सहकारिता रत्न” पुरस्कार से वीर प्रताप सिंह को सम्मानित किया गया जबकि “सहकारिता बंधु” पुरस्कार मदनलाल राठौर को प्रदान किया गया।
सम्मानित सहकारकर्मियों को 11-11 लाख रुपये की राशि का चेक, शॉल और प्रशस्ति पत्र भेंट किए गए। बता दें कि विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्था ‘इफको’ पिछले कई वर्षों से सहकारिता क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने वाले सहकारी नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर यह सम्मान दे रही है।
अश्विन एन सावलिया गुजरात के एक प्रख्यात सहकारी नेता हैं। 1 जून 1968 को जन्मे अश्विनभाई बहुत कम उम्र से ही सहकारी आंदोलन में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रतापपुरा सर्विस कोऑपरेटिव से की थी। वे सहकारी दुग्ध क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और 2011 से गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ के निदेशक रहे हैं। दुग्ध सहकारी समितियों के उत्थान में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
वहीं ‘चॉकलेट मैन’ के नाम से मशहूर एस आर रंगमूर्ति कर्नाटक के रहने वाले हैं। वह चार दशकों से कृषि, सहकारी और शैक्षिक गतिविधियों में सबसे आगे रहे हैं। वह सुपारी, कोको और रबर में काम करने वाली देश की प्रमुख सहकारी समितियों में से एक “कैंपको” के कई बार अध्यक्ष रहे हैं और कैंपको को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में उनका अहम योगदान है। कैम्पको की एक स्वदेशी चॉकलेट फैक्ट्री है जो दक्षिण पूर्व एशिया में दूसरी सबसे बड़ी है।
इसके अलावा, वीर प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश के एक अनुभवी सहकारी नेता हैं। 28 दिसंबर, 1959 को जन्मे, श्री सिंह जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कई सहकारी समितियों के संस्थापक और प्रवर्तक हैं। उन्हें उनके प्रभावी नेतृत्व के लिए जाना जाता है।
मदनलाल राठौर मध्य प्रदेश से आते हैं। वह जिला केंद्रीय सहकारी बैंक मंदसौर और नीमच से जुड़े रहे हैं और इन बैंकों के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने कई रक्तदान शिविर और वृक्षारोपण अभियान (लगभग 10000 पेड़ लगाने) के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इफको ने सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने के क्रम में वर्ष 1982-83 में “सहकारिता रत्न” और वर्ष 1993-94 में “सहकारिता बंधु” नाम के दो प्रतिष्ठित पुरस्कारों की स्थापना की थी।