भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने महाराष्ट्र के पुणे में स्थित शिवाजीराव भोसले सहकारी बैंक लिमिटेड का लाइसेंस रद्द कर दिया है। परिणामस्वरूप, 31 मई 2021 से बैंक का बैंकिंग कारोबार बंद है।
महाराष्ट्र की सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से भी अनुरोध किया गया है कि वे बैंक का समापन करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करें।
रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस इसलिए रद्द किया है क्योंकि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावना नहीं है। इस प्रकार, यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11 (1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का पालन नहीं करता है, आरबीआई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 22 (3) (ए), 22 (3) (बी), 22 (3) (सी), 22 (3) (डी) और 22 (3) (ई) की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है। बैंक को जारी रखना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है।
विज्ञप्ति में आगे कहा कि बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के कारण अपने वर्तमान जमाकर्ताओं का पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ होगा तथा यदि बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।
इसके लाइसेंस को रद्द करने के परिणामस्वरूप, शिवाजीराव भोसले सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे (महाराष्ट्र) को तत्काल प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 (बी) में परिभाषित ‘बैंकिंग’ कारोबार जिसमें जमाराशि को स्वीकार करना और जमाराशि की चुकौती शामिल है, करने पर प्रतिबंध है।
लाइसेंस रद्द करने और परिसमापन की कार्यवाही शुरू होने के साथ, बैंक के जमाकर्ताओं के भुगतान की प्रक्रिया डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अनुसार चलायी जाएगी।
बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 98% से अधिक जमाकर्ताओं को उनकी पूरी जमाराशि निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से प्राप्त होगी।
परिसमापन के बाद, प्रत्येक जमाकर्ता डीआईसीजीसी अधिनियम 1961 के प्रावधानों के तहत डीआईसीजीसी से 5,00,000/- (पांच लाख रुपए मात्र) की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशि के संबंध में जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा।