कोविड -19 वैश्विक महामारी के कारण चिंता, वित्तीय हानि, एवं जीवनशैली में आये बदलाव जैसे कि सामाजिक दूरी एवं मृत्यु के नियमों ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला हैं, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने शुक्रवार को यहां देश भर से अपने कार्मिकों एवं सहकारी समितियों के सदस्यों के लिए मानसिक स्वास्थ्य वार्ता पर एक ऑनलाइन सत्र आयोजित करके अपनी सहानुभूति दर्शायी है।
“एनसीडीसी हेल्थ टॉक-कोविड एंड मेंटल हेल्थ” शीर्षक से एक वर्चुअल संवाद सत्र आयोजित किया गया जिसके माध्यम से प्रोफेसर नंद कुमार, मनोचिकित्सा विभाग, एम्स नई दिल्ली ने वैश्विक रूप से फैली महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य संकट को दूर करने के तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी।
एक घंटे से अधिक के इस सत्र के दौरान डॉ नंद कुमार ने कोविड -19 से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में बात की जिसमें मनोविज्ञान पर इसके प्रभाव, शारीरिक स्वास्थ्य के रूप में लोगों को लगातार घबराहट, चिड़चिड़ापन, कमजोर एकाग्रता, अनिद्रा, व्याकुलता संबंधी विकार एवं भय जैसे कि समय पर चिकित्सा उपचार न मिलने का डर शामिल है, जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा देता है।
उन्होंने बताया कि महामारी के दौरान सामान्य तनाव आना स्वभाविक है लेकिन सामाजिक अनुभव जैसे स्वयं या परिवार के सदस्यों के लिए कोविड निदान, लॉकडाउन, प्रवास, घर से काम, ऑनलाइन शिक्षा, आदि, जो कभी किसी मानक पैमाने पर नहीं रहे हैं, इसने व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला है।
वर्चुअल माध्यम जैसे फोन एवं वीडियों के द्वारा अपने परिजनों के साथ संपर्क बनाये रखें, आरोग्य शारीरिक क्रियाकलाप जैसे ताजी हवा में टहलना, योगा करना तथा हल्का-फुल्का शारीरिक व्यायाम, ध्याएन लगाना एवं मानसिक स्वास्थ्य समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टगर द्वारा सुझाये कुछ उपायों को अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में बनाये रखना। प्रो. नंद कुमार ने जोर देते हुए यह भी कहा कि जब भी संभव हो सके, लोगों की मदद करें, इससे तृप्ति। की भावना उत्पन्न होती है और अशांत मन को शांति मिलती है।
अतं: संवाद सत्र के दौरान प्रोफेसर नंद कुमार ने सहभागियों द्वारा उठाए गए प्रश्नोंथ का उत्तर दिया। पोस्टक कोविड कफ से संबंधित मुद्दे के बारे में एक दर्शक द्वारा किए गए प्रश्नम पर प्रो. नंद कुमार ने सचेत करते हुए कहा कि ऐसी किसी भी समस्यात को नजरंदाज न करें तथा तत्कावल डॉक्टकर से संपर्क करें, इसके अलावा अन्यट ने जानना चाहा कि घर से कार्य तथा घर के लिए कार्य के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि ”कोविड शीघ्र अथवा देरी से जाएगा लेकिन इस वायरस के द्वारा जो आघात हुआ है वो लंबे समय तक बना रहेगा”। हम अपने दैनिक कार्यकलापों एवं ज्ञानात्मघक लचीलेपन को पुन: बहाल करके इससे शीघ्र अति-शीघ्र बाहर निकल सकते हैं। उन्हों ने सुझाव देते हुए कहा कि जब आपको घबराहट हो तो इस मंत्र को सोचो ”यह वक्तन भी गुजर जाएगा।”
एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक, संदीप नायक ने कहा, “एक संगठन के रूप में, यह एनसीडीसी की जिम्मेदारी है कि हम अपने कार्मिकों एवं सहकारी समितियों के साथ खड़े रहें और उन्हें इस तरह की स्थितियों से निपटने के तरीके खोजने में मदद करें।”
कार्यक्रम का संचालन राजकोट महिला ऋण सहकारिता की अध्यक्ष सुश्री प्रीतिबेन पटेल द्वारा किया गया।
डॉ. नंद कुमार का स्वागत करते हुए डॉ. के.टी. चेन्नेशप्पा, कार्यकारी निदेशक, एनसीडीसी ने कहा कि कोविड -19 के कारण हुई मृत्यु, लॉकडाउन एवं बेरोजगारी के परिणामस्वरूप चिंता और अवसाद काफी व्यापक हैं, ऐसे स्थिति में इस प्रकार के एक सत्र की बहुत आवश्यकता है।
इस कार्यक्रम में एनसीडीसी मुख्यालय एवं इसके 18 क्षेत्रीय कार्यालयों के कार्मिकों के अतिरिक्त राज्यों की 150 सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।