जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इफको नैनो यूरिया लिक्विड की खेप को वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर रवाना की। इस मौके पर उपराज्यपाल ने कहा कि जल्द ही जम्मू कश्मीर में कृषि क्रांति का असर चारों तरफ नजर आएगा।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इफको के उपाध्यक्ष दिलीपभाई संघानी, एमडी डॉ यूएस अवस्थी, मार्केटिंग हेड योगेंद्र कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में ट्रक को हरी झंडी दिखाई।
सोशल मीडिया के माध्यम से खबर को साझा करते हुए, इफको के एमडी ने लिखा, “माननीय उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए इफको नैनो यूरिया ले जा रहे ट्रक को आभासी रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इफको के वाइस चेयरमैन श्री दिलीप संघानी जी और इफको एवं जम्मू-कश्मीर सरकार के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।”
कलोल ( गुजरात) से जम्मू कश्मीर के लिए रवाना हुई लिक्विड नैनो यूरिया की 15000 बोतलें 675 मीट्रिक टन परंपरागत यूरिया के बराबर हैं। जम्मू और कश्मीर संभाग के किसानों में बराबरी के आधार पर लिक्विड नैनो यूरिया की 7500-7500 बोतलें बांटी जाएंगी।
इफको नैनो यूरिया के एक कण का आकार लगभग 30 नैनोमीटर होता है। सामान्य यूरिया की तुलना में इसका पृष्ठ क्षेत्र और आयतन अनुपात लगभग 10,000 गुना अधिक होता है। इसके अतिरिक्त, अपने अति-सूक्ष्म आकार और सतही विशेषताओं के कारण नैनो यूरिया को पत्तियों पर छिड़के जाने से पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिया जाता है। पौधों के जिन भागों में नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है ये कण वहां पहुंचकर संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
आईसीएआर के अनुसंधान संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों और किसानों के जरिए अखिल भारतीय स्तर पर 11,000 से अधिक स्थानों और 40 से अधिक फसलों पर कराये गये प्रभावकारिता परीक्षण में यह सिद्ध हुआ है कि नैनो यूरिया(तरल) न केवल फसल उत्पादकता को बढ़ाता है बल्कि यह सामान्य यूरिया की आवश्यकता को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
यही नहीं, नैनो यूरिया(तरल) के उपयोग से उपज, बायोमास, मृदा स्वास्थ्य और उपज की पोषण गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
इफको नैनो यूरिया सतत कृषि और खाद्य प्रणाली को बढ़ावा देने के प्रयोजन से सटीक और सुव्यवस्थित कृषि की दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है । इसमें पूरी दुनिया में कृषि क्रांति लाने की क्षमता है।