रविवार को अचानक हुए एक घटनाक्रम में यूपी राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक भूपेंद्र विश्नोई को उनके पद से हटा दिया गया और उत्तर प्रदेश की सहकारी समितियों के अतिरिक्त रजिस्ट्रार वरुण मिश्र को लखनऊ स्थित बैंक के नए एमडी के रूप में नियुक्त किया गया।
बता दें कि समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान सहकारी समितियों में हुई भर्ती में उनकी कथित संलिप्तता के कारण एसआईटी द्वारा विश्नोई के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के मद्देनजर उन्हें पद से हटा गया है। अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए विश्नोई ने कहा, “मैंने नियम विरुद्ध कोई काम नहीं किया है; मुझे यकीन है कि जांच में मैं निर्दोष पाया जाऊंगा।”
गौरतलब है कि ढाई साल पहले यूपी राज्य सहकारी बैंक के एमडी के रूप में नियुक्त विश्नोई खुद सहकारिता विभाग में अतिरिक्त रजिस्ट्रार थे। अब उन्हें उनके मूल संगठन में वापस भेज दिया गया है।
सोमवार को “भारतीयसहकारिता” से बात करते हुए, नवनियुक्त एमडी मिश्रा ने कहा, “मैंने हाल ही में बैंक का कार्यभार संभाला है और आपके प्रश्नों का उत्तर देने में असमर्थ हूँ लेकिन एक बार स्थिति से रूबरू होने के बाद मैं आपसे संपर्क करूंगा। फिलहाल मैं आपको सिर्फ इतना बता सकता हूँ कि मैं बैंक को और नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत करूंगा”, उन्होंने कहा।
मिश्रा की नियुक्ति का पत्र रविवार को जारी किया गया, जिस पर सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव- बीएल मीणा के हस्ताक्षर हैं।
“भारतीयसहकारिता” से बात करते हुए कई सहकारी समितियों ने इस प्रगति पर नाराजगी व्यक्त की। “एक आदमी जो हाउसिंग को-ऑप क्षेत्र में काम करता है, वह सहकारी बैंक कैसे चला सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार बैंक में एक पेशेवर प्रबंध निदेशक नियुक्त करने में विफल रही है, जो सहकारिता विभाग की जागीर बनकर रह गया है, जैसा उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक में हो रहा है”, उन्होंने कहा।
पाठकों को याद होगा कि सहकारिता भर्ती घोटाले पर एसआइटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई तेज हो गयी है। गत दिनों अपर मुख्य सचिव एमवीएस रामरेड्डी को भी हटाया जा चुका है। सपा व बसपा शासन काल में सहकारिता विभाग व राज्य भंडारण निगम में हुए भर्ती घोटाले की जांच को दबाने की कोशिश भी सफल नहीं हो सकी।
एसआइटी रिपोर्ट के अनुसार “उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवा मंडल” के तत्कालीन अध्यक्ष राम जतन यादव ने भर्तियों के लिए राम प्रवेश यादव की कंप्यूटर एजेंसी एक्सिस डिजीनेट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को बिना किसी विज्ञापन, टेंडर व कोटेशन की प्रक्रिया के परीक्षा के लिए नियुक्त किया था। कंपनी के साथ मिलकर ही ओएमआर शीट्स में हेराफेरी की गई।
इसके साथ ही कंप्यूटर एजेंसी के संचालक ने स्कैनिंग में इस्तेमाल किए गए कंप्यूटर की हार्ड डिस्क को राम जतन के साथ मिलकर साक्ष्य मिटाने के उद्देश्य से नष्ट किया।