भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘गारंटी, सह-स्वीकृति और साख पत्र’ संबंधी विनियमन के उल्लंघन के लिए बिजनौर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर 6.00 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया है।
यह दंड अधिनियम के उपयुक्त प्रावधानों तथा रिज़र्व बैंक द्वारा उसके तहत जारी निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में इसके निरीक्षण रिपोर्ट से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला है कि बैंक निदेशक से संबंधित ऋणों पर प्रतिबंध और कार्यनिष्पादन गारंटी जारी करने से संबंधित प्रावधानों का अनुपालन करने में विफल रहा है।
एक अन्य मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ने 14 जून, 2021 को जारी एक आदेश में नेशनल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नई दिल्ली पर 5.00 लाख (पांच लाख) रुपये मात्र का मौद्रिक जुर्माना लगाया है।
यह बैंक पर्यवेक्षी कार्य ढांचा (एसएएफ) के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विशिष्ट निदेशों का पालन करने में विफल रहा। यह जुर्माना आरबीआई में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में इसके निरीक्षण रिपोर्ट से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी पर्यवेक्षी कार्य ढांचा (एसएएफ) के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को जारी विशिष्ट निदेशों का अननुपालन/उल्लंघन किया गया है। इस आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे कारण बताने के लिए कहा गया कि उक्त निदेशों के उल्लंघन के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।
बैंक के उत्तर पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेश के अननुपालन/उल्लंघन के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।