कोरोना महामारी के बावजूद भी गुजरात के अहमदाबाद में एनसीयूआई सहकारी शिक्षा क्षेत्र परियोजनाओं के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के हस्तशिल्प व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है।
यह महिला समूह गुजराती परंपरा के अनुसार तोरण बुनती हैं, जिसका उपयोग घर के प्रवेश द्वार को सजाने के लिए किया जाता है। हालांकि कोविड प्रकोप के कारण महिलाओं की आमदनी में गिरावट आई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में कमाई की अपार संभावना है, एनसीयूआई की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
महिलाओं को उम्मीद है कि आने वाले समय में एनसीयूआई परिसर में शुरू होने जा रहे क्राफ्ट सेंटर के माध्यम से उत्पादों को बेचने के लिए उन्हें अच्छा बाजार मिलेगा। इस क्राफ्ट सेंटर का उद्देश्य सहकारी समितियों और एसएचजी के उत्पादों को प्रदर्शित करना है ताकि बिक्री के साथ-साथ इन्हें एक ऑनलाइन प्लेटफार्म से जोड़ा जाए।
राष्ट्रीय स्तर पर सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक प्लेटफार्म मिलेगा, जो उन्हें उत्पादों को बेचने के लिए अच्छा मार्केट प्रदान करेगा।
विज्ञप्ति के मुताबिक, एनसीयूआई सहकारी शिक्षा क्षेत्र परियोजना के माध्यम से महिला सदस्य कौशल विकास कार्यक्रमों के आयोजन की आशा रखती हैं ताकि वे विभिन्न प्रकार के कौशल सीख सकें और नए-ऩए उत्पादों को लेकर आएँ।
कोविड के बावजूद, एसएचजी महिलाओं का डेयरी व्यवसाय का काम बिना किसी व्यवधान के सुचारू रूप से चल रहा है, क्योंकि उन्हें अमूल के माध्यम से ग्रामीण डेयरी सहकारी समितियों को बेचे जाने वाले दूध का सही मूल्य मिलता है।
एनसीयूआई सहकारी शिक्षा क्षेत्र परियोजना, अहमदाबाद के तहत 63 एसएचजी और 20 पैक्स समितियों को गोद लिया गया है। हालांकि इस परियोजना को पैक्स के व्यवसाय में विविधता लाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनका व्यवसाय कोविड महामारी से प्रभावित हुआ था।