कोरोना महामारी के बावजूद भी सूरत स्थित सुमुल डेयरी ने वित्त वर्ष 2020-21 में 4138.77 करोड़ रुपये का कारोबार किया है, जो पिछले साल यानी 2019-20 की तुलना में 93.66 करोड़ रुपये अधिक है। इसके अलावा, सुमुल डेयरी ने दूध की खरीद को पांच वर्षों में 15 लाख लीटर से बढ़ाकर 20 लाख लीटर करने का लक्ष्य रखा है।
“भारतीयसहकारिता” संवाददाता से बात करते हुए सुमुल डेयरी के अध्यक्ष मानसिंह पटेल ने कहा, “हालांकि पिछले वित्त वर्ष में हमारे कारोबार पर कोविड-19 का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन कोरोना वायरस की दूसरी लहर को काबू करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण हमने बिक्री में प्रतिदिन 12 लाख लीटर दूध से 8 लाख लीटर दूध की गिरावट दर्ज की है। फिलहाल स्थिति में सुधार हुआ है और धीरे-धीरे हमारा कारोबार पटरी पर लौट रहा है”, मानसिंह ने कहा।
किसानों और अपने कर्मचारियों को बधाई देते हुए, सुमुल के अध्यक्ष ने कहा, “हालांकि, वित्त वर्ष 2020-21 चुनौतियों से भरा था क्योंकि कोरोना महामारी के कारण संघ द्वारा संचालित कई दुग्ध समितियों को बाधाओं का सामना करना पड़ा। मैं पशुपालकों, सुमुल कर्मचारियों और अधिकारियों को बधाई देते हूं जिन्होंने संकट की घड़ी में कंधे से कंधा मिलाकर काम किया”, उन्होंने फोन पर कहा।
प्रतिकूल परिस्थितियों और महामारी एवं लॉकडाउन के दौरान आवाजाही तथा परिवहन पर प्रतिबंध के बावजूद, संघ ने 62.14 करोड़ किलोग्राम दूध खरीदने में कामयाबी हासिल की है और पिछले वर्ष की तुलना में 8.21 करोड़ किलोग्राम अतिरिक्त दूध की खरीद करने में सक्षम हुआ है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 15.20% अधिक है।
अध्यक्ष ने आगे कहा कि वित्तीय वर्ष के अंत में, सुमुल ने संघ से जुड़े डेयरी किसानों को 86 रुपये प्रति किलो की दर से वसा की कीमत का भुगतान किया था। उन्होंने कहा, “हम डेयरी किसानों से मवेशियों को स्वस्थ रखने और उनकी आय बढ़ाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले पशु चारा खिलाने का आग्रह करते हैं। पटेल ने बताया कि बाजीपुरा, सूरत में हमारा मवेशी चारा कारखाना गुजरात राज्य में अन्य सभी यूनियनों के बीच बीआईएस (आईएसआई लाइसेंस प्राप्त) गुणवत्ता फ़ीड का उत्पादन करने वाला पहला संगठन बन गया है।”
पाठकों को याद होगा कि सुमुल गुजरात के सूरत और तापी जिलों में फैले अपने आउटलेट्स के माध्यम से सब्जियां बेचने जैसे अन्य क्षेत्रों में भी प्रवेश कर अपने कारोबार में विविधता ला रहा है।