कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के साथ एक समझौता किया है।
एमओयू के अनुसार, सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों के तौर पर एपीडा पंजीकृत निर्यातकों को नेफेड के जरिए भारत सरकार की चलाई जा रही सभी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सहयोग करेगा। मसौदा पत्र में प्रौद्योगिकी, कौशल, गुणवत्ता वाले उत्पादों और बाजार में उनकी पहुंच जैसे कदमों पर जोर देने की भी बात कही गई है। जिससे कि सहकारी समितियों द्वारा टिकाऊ निर्यात और उसमें बढ़ोतरी सुनिश्चित करने का परिकल्पना की गई है।
इस पर एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम. अंगमुथु और नेफेड के प्रबंध निदेशक श्री संजीव कुमार चड्ढा ने हस्ताक्षर किए। संबंधित पक्षों को बेहतर मूल्य मिल सके इसके लिए कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों की हितों वाली गतिविधियों के बीच बेहतर समन्वय बनाकर काम करने के लिए दोनों संगठनों की विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया जा सकेगा, पीआईबी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
एपीडा और नेफेड भारत और विदेश में आयोजित होने वाले बी-टू-बी और बी-टू-सी मेले में किसान सहकारी समितियों में वैश्विक भागीदारी कराने में भी सहयोग करेंगे। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कारोबार के विकास और प्रोत्साहन में भी मिलकर सहयोग करेंगे।
इसके अलावा वैश्विक व्यापार में किसान सहकारी समितियों की भागीदारी की सुविधा प्रदान करेंगे और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विकास और प्रचार में पारस्परिक रूप से सहयोग करेंगे।
मसौदा पत्र में सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के क्षमता निर्माण के लिए उनके सामाजिक और पर्यावरणीय कम्प्लायंस और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार कौशल प्रदान करने के लिए सहायता प्रदान करने का भी प्रावधान शामिल किया गया है। इसके तहत दोनों संगठन क्षेत्रीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम, कौशल विकास कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित करेंगे। एपीडा और नेफेड इस बात पर सहमत हुए है कि कृषि निर्यात नीति के तहत विभिन्न राज्यों में मौजूद क्लस्टर के सतत् विकास के लिए मिलकर काम करेंगे।
एपीडा विभिन्न हितधारकों के क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर और विशिष्ट विशेषज्ञता वाले कई संगठनों और संस्थानों के साथ तालमेल बैठाने पर जोर दे रहा है। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा 2018 में घोषित कृषि निर्यात नीति (एईपी) के तहत कृषि के विकास और उसके निर्यात में बढ़ोतरी के लिए पहचान किए गए क्षेत्रों पर जरूरी कदम उठाकार उनके लिए समाधान भी दे रहा है।
एईपी के निर्यात उन्मुख कृषि उत्पादन, निर्यात प्रोत्साहन, किसान को बेहतर मूल्य प्राप्ति और भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के बीच बेहतर समन्वय पर ध्यान देने के साथ तैयार किया गया था। यह मूल्य श्रृंखला में नुकसान को कम करने में मदद करने के लिए स्रोत पर ही वैल्यू एडिशन के माध्यम से बेहतर आय के लिए “किसान केंद्रित नजरिए” पर आधारित है।
इन उद्देश्यों को पाने के लिए निर्यात नीति देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में स्थानीय खासियत के अनुसार उत्पादों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करती है। जिससे कि विभिन्न आपूर्ति श्रृंखला की विभिन्न चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके। इसके तहत मिट्टी के पोषक तत्वों का प्रबंधन, उच्च उत्पादकता, बाजार आधारित फसलों की किस्म को उत्पादन, बेहतर कृषि पद्धतियों (जीएपी) का उत्पादन आदि शामिल है।
एईपी के क्रियान्वन के लिए एपीडा को राज्य सरकारों के साथ जोड़ा गया है। इसके तहत महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, नागालैंड, तमिलनाडु, असम, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, सिक्किम, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, मिजोरम और मेघालय राज्यों ने निर्यात के लिए राज्य विशिष्ट कार्य योजना को अंतिम रूप दिया है। दूसरे राज्य भी कार्य योजना को अंतिम रूप देने के विभिन्न चरणों में हैं।
वर्तमान में, नेफेड जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में शहद के विभिन्न एफपीओ का एक नेटवर्क बना रहा है। लगभग 65 एफपीओ उत्तर-पश्चिम से उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों को जोड़ने वाले शहद कॉरिडोर का हिस्सा होंगे।
नेफेड का लक्ष्य शहद उत्पादन से जुड़े सभी एफपीओ को राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के तहत आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए एक साथ लाना है। नेफेड की सहायक फेडरेशन ऑफ इंडियन एफपीओ और एग्रीगेटर्स (फीफा) वर्तमान में एफपीओ और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी कर रही हैं।