बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के मद्देनजर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाने की अनुमति देते हुए, आरबीआई ने “शेयर पूंजी और प्रतिभूतियों का निर्गम और विनियमन – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक” पर मसौदा परिपत्र जारी किया है।
ड्राफ्ट परिपत्र पर शहरी सहकारी बैंक, क्षेत्र प्रतिभागियों और अन्य इच्छुक पार्टियों 31 अगस्त 2021 तक टिप्पणी दे सकते हैं। आरबीआई ने राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) से भी टिप्पणी मांगी है।
यूसीबी के सीईओ को लिखे पत्र में, आरबीआई का कहना है कि, 29 सितंबर 2020 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित (उस तारीख की अधिसूचना संख्या 64 द्वारा) और प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए 29 जून 2020 से प्रभावी, बैंककारी विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 (2020 की संख्या 39) ने अन्य बातों के साथ-साथ, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 12 में संशोधन किया है।
“उक्त संशोधनों द्वारा अनिवार्य परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज ‘शेयर पूंजी और प्रतिभूतियों के निर्गम और विनियमन – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों’ पर ड्राफ्ट परिपत्र जारी किया है”, पत्र के मुताबिक।
चूंकि संशोधित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधान राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के लिए 01 अप्रैल 2021 से लागू हो गए हैं, ड्राफ्ट परिपत्र पर एसटीसीबी/ डीसीसीबी, ग्रामीण सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के प्रतिभागियों और अन्य इच्छुक पार्टियों से भी टिप्पणियाँ आमंत्रित की जाती हैं कि क्या एसटीसीबी / डीसीसीबी के लिए शेयर पूंजी और प्रतिभूतियों के निर्गम और विनियमन पर ऐसे ही दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
“शेयर पूंजी और प्रतिभूतियों के निर्गम और विनियमन पर ड्राफ्ट परिपत्र पर प्रतिक्रिया – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक” विषय के साथ ड्राफ्ट परिपत्र पर प्रतिक्रिया ईमेल द्वारा भेजी जा सकती है, आरबीआई ने कहा।
नीचे दिये गए लिंक से मसौदा परिपत्र पढ़ा जा सकता है: