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लैब से फार्म: इफको ने दिल्ली आईआईटी से मिलाया हाथ

इफको की अनुसंधान एवं विकास इकाई नैनो बायोटेक्नालजी रिसर्च सेंटर ने मंगलवार को अनुसंधान परामर्श, ज्ञान के आदान-प्रदान एवं साझा परियोजना के लिए आईआईटी दिल्ली के साथ समझौता किया है।

दुनिया की शीर्ष सहकारी संस्था इफको ने एक बयान जारी कर कहा कि, वो प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ एवं ‘आत्मनिर्भर कृषि’ के सपने को पूरा करने के लिए उन्नत कृषि तकनीकी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। वो देश में सटीक खेती और सतत विकास को बढ़ावा देने हेतु प्रयासरत है, ताकि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जा सके। इस समझौते के तहत आईआईटी दिल्ली और इफको की प्रयोगशालाएं मिलकर अनुसंधान परामर्श और अनुसंधान पर जोर देंगी।

इससे कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और तकनीकी विकास का दायरा बढ़ेगा। भविष्य के अनुप्रयोगों के लिए नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान की सुविधा विकसित होगी। कृषि और पर्यावरण संबंधी समस्याओं और चुनौतियों के समाधान खोजने की दिशा में इफको के वैज्ञानिक और इंजीनियर, आईआईटी दिल्ली के अकादमिक शोधकर्ताओं एवं विद्वानों के साथ मिलकर काम करेंगे।

इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. यू एस अवस्थी ने कहा कि “इफको हमेशा नई तकनीकों को अपनाने के लिए तत्पर रहता है, ताकि जमीनी स्तर पर किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।”

“हम खेती की लागत को कम करने के लिए स्थायी समाधान निकालने में भरोसा रखते हैं। इसलिए किसानों की आय बढ़ाने को ध्यान में रखते हुए इफको ने दुनिया का पहला नैनो यूरिया तरल विकसित किया है। हम पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए टिकाऊ खेती के जरिए नए समाधान और नए अवसरों की ताक में रहते हैं”, उन्होंने कहा।

आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. वी. रामगोपाल राव ने कहा, “अनुसंधान और इनोवेशन को प्रोत्साहन देने से देश के किसानों का फायदा होगा और हमें आधुनिक कृषि प्रणाली तक पहुंचने में मदद मिलेगी। आपसी हित की भावी प्रौद्योगिकियों पर मिलकर काम करने हेतु इफको के साथ सहयोग करके आईआईटी दिल्ली खुश है।”

आईआईटी दिल्ली में कारपोरेट कम्युनिकेशन के डीन, प्रो. अनुराग एस. राठौर ने कहा, “यह गर्व की बात है कि आईआईटी दिल्ली के साथ इस सहयोग से किसानों को बहुत लाभ होगा। नैनो प्रौद्योगिकी और सामग्री विज्ञान, केमिकल इंजीनियरिंग, कृषि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण विज्ञान, ग्रामीण विकास, डेटा विज्ञान, नैनो-जैव इंटरफेस जैसे अनुसंधान क्षेत्रों में आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण काम होने की आशा है।”

पाठकों को याद होगा कि इफको ने अपनी गुजरात में स्थित कलोल इकाई में नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर में प्रॉपराइटरी तकनीक के जरिये दुनिया का पहला नैनो यूरिया तरल विकसित किया।

इफको नैनो यूरिया तरल की 500 मिली की एक बोतल पारंपरिक यूरिया के कम से कम एक बैग के बराबर है। इससे किसानों की आदान लागत कम हो जाती है और मिट्टी में यूरिया के अतिरिक्त प्रयोग को कम करके और संतुलित पोषण को बढ़ावा देकर नैनो यूरिया तरल किसानों के लिए हितकर साबित होगा।

इफको देश भर में 35000 से अधिक सहकारी समितियों के साथ 5 करोड़ से अधिक किसानों को अपनी सेवाएं प्रदान करता है।

 

 

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