भारतीय रिज़र्व बैंक ने नासिक स्थित दि जनलक्ष्मी को-ऑपरेटिव बैंक पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा अन्य बैंकों के पास जमाराशि रखना’ और ‘क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता’ संबंधी निदेशों का अनुपालन न करने के लिए 50.35 लाख (पचास लाख पैंतीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट (आईआर) और सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ- साथ यह पता चला कि बैंक द्वारा रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का अनुपालन नहीं किया गया है।
उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का उल्लंघन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई में किए गए मौखिक प्रस्तुतियों और अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।