भारतीय रिज़र्व बैंक ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित नोएडा कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 23 और 35ए तथा निदेशक संबंधी ऋणों के संबंध में ‘एक्सपोज़र मानदंड’ और ‘निदेशक मंडल-यूसीबी’ पर मानदंडों का उल्लंघन के लिए 3.00 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
यह दंड अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों और उसके अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
आरबीआई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
बैंक की 31 मार्च 2019 को वित्तीय स्थिति की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर और अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि निदेशक संबंधी ऋणों और कारोबार का नया स्थान खोलने संबंधी प्रावधानों का अनुपालन करने में बैंक विफल रहा है।
उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उक्त निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।
बैंक के उत्तर, वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण तथा अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।