मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में एक सहकारी संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारिता हमारे संस्कारों एवं संस्कृति में है। हम “सर्वे भवन्तु सुखिन:” तथा “वसुधैव कुटंबकम्” के मार्ग पर चलते हैं। सबके लाभ, सबके कल्याण और सबकी भलाई की सोच ही सहकारिता है।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ने कोविड काल में सहकारिता के माध्यम से आपदा नियंत्रण का आदर्श प्रस्तुत किया। जिला, ब्लॉक, वार्ड एवं ग्राम स्तरीय क्राइसिस मैनेजमेंट समितियों ने कोरोना नियंत्रण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह बात चौहान ने “नई ऊर्जा, नई शक्ति और नए क्षितिज” विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही। इस मौके पर राज्य के सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, आरबीआई केंद्रीय बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे, जीसीएमएमएफ के एमडी, आरएस सोढ़ी सहित बड़ी संख्या में प्रमुख लोग शामिल थे। कैंपको के चेयरमैन किशोर कुमार कोडगी, वैमनीकॉम की निदेशक डॉ हेमा यादव ने भी इस संगोष्ठी में भाग लिया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में महिला स्व-सहायता समूहों ने सहकारिता का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रदेश में इन्हें सशक्त बनाने के लिए 1400 करोड़ रूपए का बैंक ऋण 4% ब्याज दर पर उपलब्ध कराया गया है।
सहकारिता मंत्री श्री अरविंद भदौरिया ने कहा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सहकारिता आंदोलन को गति मिली है। आज की कार्यशाला में आए सहकारिता के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के अनुभवों का लाभ सहकारिता आंदोलन को मिलेगा।
आर.बी.आई सेंट्रल बोर्ड के निदेशक श्री सतीश मराठे ने कहा कि आज सहकारिता क्षेत्र में पूंजी की आवश्यकता है। इसके लिए मौजूदा कानूनों में आवश्यक संशोधन करते हुए सहकारी संस्थाओं को अधिक अधिकार संपन्न बनाना आवश्यक है।
उन्होंने सहकारिता को सुदृढ़ करने के लिए बेहतर वातावरण निर्माण की आवश्यकता बताई। श्री मराठे ने कहा कि किसानों की आय दोगुना करने में डेयरी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण है। इससे उनकी आय में अच्छी वृद्धि हो सकती है। मध्यप्रदेश में एनिमल सीड बनाने तथा खाद्य प्रसंस्करण की बड़ी संभावनाएँ हैं। मध्यप्रदेश में तिलहन का अच्छा बाजार था। प्रदेश में तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाया जाना चाहिए।
कैम्पको के अध्यक्ष श्री किशोर कुमार ने कहा कि फसलों के बाजार मूल्य गिरने पर भी सहकारिता उन्हें सपोर्ट प्रदान करती है।
अमूल के एमडी आर.एस. सोडी ने कहा कि सहकारिता उन छोटे-छोटे कार्य करने वाले व्यवसाइयों और कामगारों के लिए है, जो अकेले कुछ नहीं कर सकते। वे साथ मिलकर बहुत अच्छा कार्य कर सकते हैं।