भारत सरकार के रासायनिक और उर्वरक विभाग ने इफको को कुछ शर्तों के अधीन नैनो यूरिया के निर्यात की अनुमति दी। वर्तमान में नैनो यूरिया का उत्पादन गुजरात स्थित कलोल संयंत्र में किया जा रहा है।
इस प्रगति पर प्रतिक्रिया देते हुए इफको के एमडी डॉ यूएस अवस्थी ने ‘भारतीयसहकारिता’ से कहा, “हमने दुनिया भर के किसानों को नैनो यूरिया समर्पित किया है और चाहते हैं कि इसे आने वाले समय में सभी के लिए उपलब्ध कराया जाए ताकि स्थायी कृषि और जलवायु शमन को नया आयाम दिया जा सके”।
विभाग के एक उत्तर में मंत्रालय के अधिकारी निरंजन लाल, निदेशक ने लिखा कि सक्षम प्राधिकारी ने नैनो यूरिया (तरल) के निर्यात के लिए इफको को अनुमति दे दी है।
मंत्रालय ने कुछ शर्तें भी रखी हैं, जैसे एक वर्ष में नैनो यूरिया (तरल) के कुल उत्पादन के 20% से अधिक का निर्यात नहीं होगा और नैनो यूरिया (तरल) के उत्पादन के लिए किसी भी सब्सिडी वाले कच्चे माल (उर्वरक/यूरिया) का उपयोग नहीं किया जाएगा।
इफको के विपणन निदेशक योगेंद्र कुमार ने ट्विटर पर पत्र साझा किया।
हाल ही में केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया द्वारा राज्यसभा में दिए गए एक लिखित उत्तर में उन्होंने कहा था कि इफको ने गुजरात के कलोल में स्थापित अपने नैनो उर्वरक संयंत्र से निर्मित नैनो यूरिया (तरल) के निर्यात के लिए उर्वरक विभाग से अनुमति मांगी है।
मंडाविया ने इफको नैनो यूरिया की प्रशंसा की और कहा कि परीक्षणों से पता चला है कि इससे किसानों की फसल में वृद्धि होगी और नाइट्रोजन को 50% तक बचाया जा सकता है।