वैसे तो भारत की राजधानी दिल्ली का सहकारी आंदोलन काफी कमजोर माना जाता है लेकिन फिर भी कई अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक और थ्रिफ्ट और क्रेडिट सहकारी समितियां दिल्लीवासियों की जरूरतों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
उनमें से दिल्ली जनता सहकारी बैंक एक है जो न केवल समाज के गरीब वर्ग के उत्थान में अहम भूमिका निभा रहा है बल्कि साल दर साल अच्छा मुनाफा कमाने में भी सक्षम है।
बैंक ने हाल ही में अपनी वार्षिक आम बैठक का आयोजन किया और घोषणा की कि वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक ने लगभग सभी वित्तीय मानदंडों पर अच्छा प्रदर्शन किया है।
बैंक का कुल डिपॉजिट 171.70 करोड़ रुपये (2019-20) से बढ़ाकर 2020-21 वित्त वर्ष में 175.91 करोड़ रुपये हो गया है लेकिन कोविड -19 की चुनौतियों के कारण बैंक ने एडवांस पोर्टफोलियो में थोड़ी कमी दर्ज की है। इसका एडवांसिस 100 करोड़ रुपये से घटकर 90 करोड़ रुपये हो गया है। इसके बावजूद भी बैंक ने अपने शेयरधारकों को 18 फीसदी लाभांश देने की घोषणा की है।
31 मार्च 2021 तक, बैंक का कुल व्यवसाय 265 करोड़ रुपये था। वित्तीय रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए बैंक के सीईओ पी एस पठानिया ने भारतीय सहकारिता संवाददाता से कहा, “कोविड -19 के कारण, हम लक्षित ऋणों को वितरित करने में विफल रहे, लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक प्रस्तावित लक्ष्यों को छूने में सफल होंगे। हम बैंक को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं”, उन्होंने कहा।
एमडी ने आगे कहा, “बैंक का रिजर्व 14.62 करोड़ रुपये से बढ़कर 16.51 करोड़ रुपये हो गया है। कोविड काल में, हमारे बैंक ने सभी ऋणों पर ब्याज दरों में कटौती की है और व्यवसाय को बढ़ाने के लिए हम नई योजनाओं पर काम कर रहे हैं।”
31.03.2021 तक बैंक का सीआरएआर 18.47%, शुद्ध एनपीए 1.47%, सीडी अनुपात 51.34% रहा। बैंक से 7000 से अधिक शेयरधारक जुड़े हुए हैं। पिछले वित्त वर्ष में बैंक ने 1.15 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था।
बैंक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी आगे है और अन्य बैंकों से प्रतिस्पर्धा के लिए मोबाइल ऐप बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
जनता सहकारी बैंक लिमिटेड की स्थापना 12 जून 1956 को हुई थी।