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लिब्बरहेड़ी सहकारी गन्ना विकास समिति विकास पथ पर

उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित “लिब्बरहेड़ी सहकारी गन्ना विकास समिति” ने हाल ही में अपनी दूसरी वार्षिक आम बैठक का आयोजन कियाजिसमें समिति के नए भवन के निर्माण सहित कई प्रस्ताव पारित किए गए।

इस अवसर पर वर्ष 2011-12, 2012-13, 2013-14, 2014-15 के वित्तीय आंकड़ों को प्रतिनिधियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। बता दें कि 2009 में स्थापित सोसाइटी की पहली एजीएम 2016 में आयोजित की गई थी। एजीएम के आयोजन में देरी का कारण बैलेंस शीट तैयार न होना बताया जा रहा है।

इस अवसर पर सोसायटी की अध्यक्ष रेणु रानी ने कहा कि गन्ना किसानों की आय बढ़ाने के लिए मशीनरी और उपयोगी उपकरण उपलब्ध कराने की योजना बनाई जा रही है।  नए उर्वरक बिक्री केंद्र खोलने और जैविक गन्ना उत्पादन जैसी कई योजनाएं विचाराधीन हैं।

गौरतलब है कि 2019 में गठित नया बोर्ड गन्ना किसानों की मांगों को उठाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। इस मौके पर समिति ने अपने शेयरधारकों को चार साल के लिए फीसदी लाभांश देने की घोषणा की है।

“भारतीयसहकारिता” से बात करते हुए समिति के एक निदेशक और जाने-माने सहकारी नेता सुशील राठी ने कहा, “2016 में आयोजित एजीएम में वित्तीय वर्ष 2009-10, 2010-11 की वार्षिक रिपोर्ट पेश की गई और दूसरी बैठक में चार साल की रिपोर्ट जारी की गई। हम शेष वर्षों की वार्षिक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं

सोसाइटी ने वित्त वर्ष 2011-12 में 91 लाख रुपये, 2012-13 में 1.12 करोड़ रुपये, 2013-14 में 55 लाख रुपये और 2014-15 में 96 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। इसके अलावाहम बदलते परिदृश्य में समिति की वेबसाइट बनाने की भी प्रक्रिया में हैं”, राठी ने कहाजो हरिद्वार डीसीसीबी के बोर्ड में भी हैं।

समिति के एक कर्मचारी ने कहा, “हमारे निदेशक सुशील राठी सोसाइटी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काफी प्रयास कर रहे हैं। राज्य के गन्ना मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के साथ उनके अच्छे संबंधों के कारणवह हमेशा गन्ना किसानों के मुद्दों को हल करने में सफल रहे। कई मौकों परउनके प्रयासों से गन्ना किसानों को उनका बकाया भी वापस मिला।

इस अवसर पर वरिष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक आशीष नेगीप्रभारी सचिव मोहम्मद अनीससोसायटी उपाध्यक्ष रामरती देवीसंचालक बृजपाल सिंहसईद अहमद, आदि उपस्थित थे।

पाठकों को याद होगा कि समिति ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सरकार की मदद करने के लिए लाख रुपये का योगदान दिया था

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