भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित उक्त अधिनियम की धारा 35 ए की उपधारा (1) के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए पुणे स्थित सेवा विकास सहकारी बैंक पर निदेश जारी किए हैं।
इसके तहत 12 अक्तूबर 2021 को कारोबार की समाप्ति से उक्त बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्व अनुमति लिए बिना, कोई भी ऋण और अग्रिम मंजूर नहीं करेंगे या उसका नवीकरण नहीं करेंगे, कोई निवेश नहीं करेंगे, निधियाँ उधार लेने और नई जमाराशियाँ स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेंगे, कोई भुगतान नहीं करेंगे और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होंगे भले ही, भुगतान उनकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेंगे और रिज़र्व बैंक के दिनांक 12 अक्तूबर 2021 के निदेश, जिसकी प्रति जनता के हितबद्ध सदस्यों के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई हैं, में अधिसूचित के अलावा अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेंगे, न अंतरित करेंगे या अन्यथा रीति से उसका निपटान करेंगे।
विशेष रूप से, उपरोक्त रिज़र्व बैंक निदेशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन सभी जमाकर्ताओं के सभी बचत खातों अथवा चालू खातों अथवा अन्य जमा खातों में कुल राशि में से 1000 (एक हजार रुपये मात्र) से अधिक की निकासी की अनुमति नहीं होगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है।
ये निदेश 12 अक्टूबर 2021 को कारोबार की समाप्ति से छह महीने की अवधि के लिए लागू रहेंगे और समीक्षाधीन रहेंगे।