एनसीयूआई ने पिछले हफ्ते एक नेशनल वेबिनार का आयोजन किया, जिसका विषय “सहकारिता पर राष्ट्रीय नीति तैयार करना” था।
इस वेबिनार में एनसीयूआई के कुछ जीसी सदस्य, राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियों के अध्यक्ष और एमडी, एक्सपर्ट समेत अन्य लोगों ने भाग लिया, एनसीयूआई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
अपने अध्यक्षीय भाषण में, एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा, “वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर, सहकारिता पर राष्ट्रीय नीति में सुधार करना और बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम में बदलाव लाना सहकारी आंदोलन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।”
संघानी ने “एक राष्ट्र-एक सहकारी अधिनियम” के विचार की वकालत की। सहकारिता कानूनों में एकरूपता न केवल सहकारी संस्थाओं बल्कि सरकारों के लिए भी संचालन को आसान बना देगी”।
इस मौके पर एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी डॉ सुधीर महाजन ने कहा कि बदलते परिप्रेक्ष्य में सहकारी नीति में सुधार लाने की आवश्यकता है, ताकि इसे और अधिक प्रासंगिक बनाया जा सके। उन्होंने विस्तार से बताया, “प्रौद्योगिकी, सतत विकास, समावेशी विकास, महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी, आदि जैसे कारक स्पष्ट रूप से प्रतिमान बदलाव की आवश्यकता को इंगित करते हैं”।
एनसीयूआई के उपाध्यक्ष डॉ बिजेंद्र सिंह ने सुझाव दिया कि सहकारिता आंदोलन की नींव को मजबूत बनाने के लिए स्कूल पाठ्यक्रम में एक वैकल्पिक विषय के रूप में सहकारिता को शामिल किया जाना चाहिए।
कर्नाटक सरकार के पूर्व मंत्री और एनसीयूआई गवर्निंग काउंसिल के सदस्य एच के पाटिल ने कहा कि असंगठित क्षेत्र को सहकारी क्षेत्र में लाने की बहुत आवश्यकता है और नई नीति में इस मुद्दे को उजागर किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक संघ के एमडी केके रवींद्रन ने कहा कि वर्तमान नीति को स्पष्ट रूप से परिभाषित कार्य-योजनाओं के साथ लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि नई नीति को सहकारी आंदोलन के सभी क्षेत्रों के कम्प्यूटरीकरण, राष्ट्रीय संघों की भूमिका को बढ़ाने, स्व-नियमन को मजबूत करने, पेशेवर कर्मचारियों को लाने के लिए भर्ती प्रणाली बनाने, आदि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
‘सेवा’ की अध्यक्षा सुश्री मिराई चटर्जी ने कई सुझाव दिए जो नई नीति में परिलक्षित होने चाहिए। कई प्रमुख शिक्षाविदों और अन्य लोगों ने भी अमूल्य सुझाव देते हुए वेबिनार को संबोधित किया।
वेबिनार ने सर्वसम्मति से सिफारिश की कि सहकारिता पर राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार करने के लिए, सरकार द्वारा एक प्रतिनिधि समिति का गठन किया जाना चाहिए, जिसमें एनसीयूआई की अग्रणी भूमिका होनी चाहिए।
संजय वर्मा, उप निदेशक (पीआर), एनसीयूआई ने वेबिनार का समन्वयन किया। इस अवसर पर वेद प्रकाश ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।