भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में महाराष्ट्र स्थित वसई विकास सहकारी बैंक पर 90 लाख और पंजाब के सिटीजन अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर 7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
वसई विकास सहकारी बैंक पर आरबीआई द्वारा बैंकों को जारी दिनांक 22 नवंबर 2018 के विशेष निदेश तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 31 के प्रावधानों के साथ “अग्रिमों का प्रबंधन-यूसीबी”, “आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले – यूसीबी” संबंधी निदेशों का अननुपालन करने के लिए 90.00 लाख (नब्बे लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 31 के प्रावधानों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
वहीं, दी सिटिज़न्स अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., जालंधर, पंजाब (बैंक) पर आरबीआई द्वारा दिनांक 1 जुलाई 2015 को जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले – यूसीबी’ संबंधी मास्टर परिपत्र डीसीबीआर.बीपीडी.(पीसीबी) एमसी सं.12/09.14.000/2015-16 में निहित कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 7.00 लाख (सात लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
बैंकों के उत्तर तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गयी मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन/उल्लंघन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।