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सहकारिता भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम: शाह

कई लोग जब एक साथ अपनी क्षमता का योग बनाते हैं तो बहुत बड़ी ताकत बन सकती है और यही सहकारिता का मूल मंत्र है। हम छोटे हो सकते हैंलेकिन संख्या में बहुत अधिक हैं। अगर छोटे लोगों की बड़ी संख्या एकजुट हो जाए और एक दिशा में चल पड़ेतो बड़ी से बड़ी ताक़त बन सकती है और उसी को सहकारिता कहते हैं”, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा।

उन्होंने यह बात गुजरात के आणंद में अमूल के 75वें स्थापना वर्ष समारोह को संबोधित करते हुए कहीजिसमें केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपालाबी एल वर्मा और श्री देव सिंह चौहानगुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल और अमूल के अध्यक्ष राम सिंह परमार सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज सरदार साहब की जन्मजयंती है और आज अमूल का भी अमृत महोत्सव का कार्यक्रम है। सरदार पटेल का अमूल से गहरा रिश्ता है। निजी डेयरी के अन्याय के ख़िलाफ़ किसानों के संघर्ष को सरदार पटेल की प्रेरणा और कर्मठ सहकारी नेता त्रिभुवन दास पटेल ने अच्छे तरीक़े से सकारात्मक सोच की ओर मोड़ने का काम किया। ये  केवल सहकारिता के लिए एक अनूठा उदाहरण है बल्कि सामाजिक जीवन में लोगों के प्रश्नों को आवाज़ देने के लिए आंदोलन करने वाले समाजसेवियों के लिए भी बहुत बड़ा उदाहरण है।

खेड़ा ज़िले में किसानों के शोषण के ख़िलाफ़ आंदोलन कियाअसहकार? का आंदोलन किया और इसे ऐसे आंदोलन में परिवर्तित किया जिसमें जो बीज बोया गया था वह आज वट वृक्ष बनकर 36 लाख परिवारों के रोज़ग़ार का ज़रिया बना है। आंदोलन से न केवल शोषण रूका बल्कि एक रचनात्मक अभिगम लेकर आंदोलन को मोड़ने की क्षमता जो सरदार साहब और विशेषकर त्रिभुवन दास पटेल में थीउसके कारण ये वट वृक्ष आज हमारे सामने खड़ा है।

जब अमूल की कल्पना की गई तब प्रतिदिन लगभग 200 लीटर दूध एकत्रित होता था और आज वर्ष 2020-21 में अमूल का वार्षिक टर्नओवर 53 हज़ार करोड़ रुपये को पार कर चुका है। हर रोज़ 30 मिलियन लीटर दूध की प्रोसेसिंग और भंडारण करने की क्षमता अमूल ने विकसित की है। 36 लाख किसान परिवार दुग्ध उत्पादन को अपना व्यवसाय बनाकर अमूल के साथ जुड़े हुए हैं और सम्मान के साथ अपना जीवनयापन कर रहे हैं। 18600 से अधिक गांवों की छोटी-छोटी दुग्ध उत्पादक कॉपरेटिव्स आज इसके साथ जुड़ी हैं और अमूल को और अधिक सफल बनाने में अपना योगदान दे रही हैं। 18 ज़िलास्तरीय डेयरी हैं और पूरे देश में 87 स्थानों पर दुग्ध प्रसंस्करण प्लांट लगाए हैं। 200 लीटर दुग्ध एकत्रित करने से लेकर 30 मिलियन लीटर दुग्ध एकत्रित करने तक की यात्रा बहुत बड़ी होती हैउन्होंने कहा।

श्री अमित शाह ने कहा कि स्वर्गीय त्रिभुवन दास जी और सरदार साहब की प्रेरणा से आज छोटे से छोटे गांव में अमूल के लिए दूध उत्पादन करने वाली ग़रीब से ग़रीब महिला तक ने पुरूषार्थ की पराकाष्ठा की है और 75 साल में अमूल के ब्रांड को पूरे विश्व में प्रसिद्ध बनाया है। यह एक ऐसा उदाहरण है कि कई लोग एक साथ जब अपनी क्षमता का योग बनाते हैं तो कितनी बड़ी ताकत बन सकती है और यही सहकारिता का मूल मंत्र है। हम छोटे हो सकते हैंलेकिन संख्या में बहुत अधिक हैं। अगर छोटे लोगों की बड़ी संख्या एकजुट हो जाए और एक दिशा में चल पड़ेतो बड़ी से बड़ी ताक़त बन सकती है और उसी को सहकारिता कहते हैं। उन्होंने कहा कि आज अमूल के आंदोलन ने यह करके दिखाया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज यहां कई योजनाओं की शुरूआत हुई है जिनमें सरदार पटेल सभागार का उद्घाटनअमूल के सभी दुग्ध उत्पादकों की स्मृति में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी कियाकोरोना के सौ करोड़ टीके के लिए भी एक विशेष कवर का उद्घाटन हुआ और एनसीडीसी (भारत सरकार) के माध्यम से डेयरी क्षेत्र को 5000 करोड़ रूपए देने वाली योजना का भी शुभारंभ हुआ।

सहकारिता मंत्रालय “सहकार से समृद्धि” के सूत्र वाक्य के साथ बनाया गया है और इसके चार्टर का ध्येय वाक्य भी यही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में सहकारिता बहुत बड़ा योगदान दे सकती है और आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को सिद्ध करने के लिए सहकारिता से बड़ा कोई मार्ग नहीं हो सकता।

सहकारिता क्षेत्र में हमारी सक्सेस स्टोरी और कृषि व पशुपालन के साथ जुड़े विषयों को कोऑपरेटिव बेसिस पर आगे बढाने और कृषि को आत्मनिर्भर बनाने का भी समय आ गया है। उन्होने कहा कि हमारी सक्सेस स्टोरी वाली सहकारी समितियों को निश्चित रूप से आगे आना होगा, 36 लाख परिवार तक ही सीमित रहने की सोच ठीक नहीं होगी।

हमें सहकारिता के माध्यम से कृषि और किसानपशुपालक और मिल्क प्रोसेसिंग जैसी चीजों को नए सिरे से देखना होगा और इसमें अपने-अपने अनुभव व सफलता के मानकों की उपलब्धि का उपयोग करना होगा तभी सहकारिता मजबूत हो सकती है। उन्होने कहा कि इसी सोच के कारण आणंद में नेशनल डेयरी डेव्लपमेंट बोर्ड की स्थापना हुई थी।

श्री शाह ने कहा कि क्या कोई सहकारी संस्था यह जिम्मेदारी ले सकती है जिसमें एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म तैयार किया जाए जहां उनकी भूमि की उर्वराशक्ति और उत्पादों की टेस्टिंग की व्यवस्था की जाए। दुनिया भर के बाज़ारों में मुनाफे के साथ उनके आर्गेनिक उत्पाद बेचे जाएँ और उसका सारा फायदा गरीब किसान के पास पहुंचे। उन्होने कहा कि इससे भूमि संरक्षणजल संचयउत्पादन वृद्धि और किसान की समृद्धि में बहुत बड़ा योगदान होगा।

शाह ने कहा कि समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने में भी अमूल कभी पीछे नहीं रहा। प्राकृतिक आपदाओं के समय सहायता और न्यूट्रिशन प्रोग्राम को बढ़ावा देने में भी अमूल ने बहुत सहयोग दिया है।

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