खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) के सहयोग से हाल ही में पंचशील भवन, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएमएफएमई) योजना के बेकरी उत्पाद श्रेणी में पहला ‘एक जिला, एक उत्पाद’ ब्रांड ‘दिल्ली बेक्स’ पेश किया।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और नैफेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) श्री संजीव कुमार चड्ढा की उपस्थिति में यह ब्रांड पेश किया गया।
ब्रांड और उत्पाद को विशेष रूप से बेकरी के लिए ओडीओपी अवधारणा के तहत विकसित किया गया है जो दिल्ली के ओडीओपी में से एक है। पूरी तरह गेहूं से बना रस्क दिल्ली बेक्स ब्रांड के तहत पेश किया गया पहला उत्पाद है, इसके बाद और उत्पाद पेश किए जाएंगे।
नैफेड के अनुसार, गेहूं का रस्क एक अनूठा उत्पाद है क्योंकि इसे चीनी के बजाय गुड़ से बनाया जाता है और इसमें वनस्पति के बजाय मक्खन का इस्तेमाल किया जाता है। उपभोक्ताओं के लाभ के लिए 260 ग्राम पैक की प्रतिस्पर्धी कीमत 60 रुपये एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) तय की गयी है और यह एक अनूठे और आकर्षक पैकेजिंग में उपलब्ध है जो उत्पाद को नमी एवं धूप से सुरक्षित रखता है। इस प्रकार यह उत्पाद की लंबी शेल्फ लाइफ सुनिश्चित करता है और इसे कुरकुरा एवं ताजा रखता है।
पीएमएफएमई योजना के तहत, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने योजना के ब्रांडिंग और विपणन घटक के तहत चयनित ओडीओपी के दस ब्रांड विकसित करने के लिए नैफेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने पीएमएफएमई योजना के तहत नैफेड के सहयोग से शुरू की गयी एक पहल के माध्यम से देश भर के सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों (एमएफपीई) को औपचारिक रूप देकर, उन्नत कर और मजबूत कर आत्मनिर्भर भारत के एक कदम आगे ले जाने के सरकार के दृष्टिकोण, प्रयासों एवं पहल के बारे में एक मजबूत तथा उत्साहजनक संदेश भेजने का लक्ष्य रखा है।
दिल्ली बेक उत्पाद देश भर के सभी नैफेड बाजारों, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म और प्रमुख खुदरा स्टोरों पर उपलब्ध होंगे।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू की गई, प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएमएफएमई) योजना का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा अलग-अलग सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र की औपचारिकता को बढ़ावा देना है। साथ ही इसका उद्देश्य किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और उत्पादक सहकारी समितियों को उनकी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में सहायता प्रदान करना है।
2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि में 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ, इस योजना में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए 2,00,000 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की सीधे सहायता करने की परिकल्पना की गई है।