केंद्रीय सहकारिता सचिव डीके सिंह ने सोमवार को पैक्स कंप्यूटरीकरण के मुद्दे पर राज्य सहकारी सचिवों और सहकारिता पंजीयकों (रजिस्ट्रार) की एक वर्चुअल बैठक को संबोधित किया।
इस बैठक में देश भर में फैली 97,000 से अधिक प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण की नई केंद्रीय योजना पर चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि भारत में लगभग 97,960 पैक्स हैं, जिनमें से 65 हजार लाभ में हैं।
बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय नाबार्ड के साथ एक बैठक आयोजित करने की योजना बना रहा है, जो प्रस्तावित योजना के तहत पैक्स के आधुनिकीकरण के लिए समन्वय एजेंसी बनने जा रही है।
वर्तमान में उत्तराखंड और तेलंगाना स्थित पैक्स पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत हैं और अन्य राज्यों में कम्प्यूटरीकरण का काम चल रहा है। केरल जैसे कुछ राज्यों ने कम्प्यूटरीकरण के लिए निविदाएं जारी की हैं, अधिकारी ने बताया।
पाठकों को याद होगा कि हाल ही में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपनी उत्तराखंड यात्रा के दौरान देहरादून में सहकारी समितियों के कम्प्यूटरीकरण का शुभारंभ किया था।
इस अवसर पर बोलते हुए शाह ने कहा कि कम्प्यूटरीकरण होने से पैक्स के सदस्यों को कभी घपले या घोटाले का सामना नहीं करना पड़ेगा। इससे ज़िला बैंकों का राज्य सहकारी बैंकों के साथ और राज्य सहकारी बैंकों का नाबार्ड के साथ सीधा जुड़ाव होता है और किसानों की सभी योजनाएं पैक्स के माध्यम से किसानों तक सीधे पहुंचती हैं।
सहकारिता मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित एक मेगा सहकारिता सम्मेलन में शाह ने पैक्स पर जोर दिया था और कहा था कि प्रधानमंत्री की समावेशी विकास की दूरदर्शिता इनके माध्यम से ही हासिल की जा सकती है।
“हमारे पास अभी तक 95 हजार पैक्स हैं लेकिन यह संख्या देश के 6 लाख गांवों के लिए पर्याप्त नहीं हैं। मंत्रालय पांच साल में करीब 3 लाख नए पैक्स बनाने के विजन पर काम करेगा”, उन्होंने बताया।
शाह ने यह भी कहा कि प्रत्येक 6 गांवों में लगभग एक पैक्स है, लेकिन भविष्य में दो गांवों के लिए एक पैक्स बनाने का प्रयास किया जाएगा। पैक्स को कम्प्यूटरीकृत किया जाएगा जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए विकास इंजन के रूप में कार्य करेंगे, शाह ने कहा।
शाह ने पैक्स के गठन के लिए सहकारिता अधिनियम में संशोधन की भी बात कही थी। “हम पैक्स को एफपीओ में बदलने की संभावनाओं पर भी विचार कर रहे हैं ताकि इसका लाभ सभी को मिल सकें”, उन्होंने कहा।