68वें अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह के अवसर पर केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने कहा कि अब कोऑपरेटिव सेक्टर के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।
यह बात वर्मा ने एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी के सवाल के जवाब में कहा, जिन्होंने कहा था कि सहकारी बैंकों के पास उन मामलों में सब्सिडी का कोई प्रावधान नहीं है, जहां एक गांव का लड़का विदेश में पढ़ने के लिए इन बैंकों से कर्ज लेता है। वहीं निजी या पीएसयू बैंक इस तरह के ऋण का वितरण कर सकते हैं। संघानी ने मंत्री से आग्रह किया कि सहकारी बैंकों को निजी बैंकों की तर्ज पर सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
इस मौके पर अमित शाह के नेतृत्व में की गई कई पहलों पर प्रकाश डालते हुए, वर्मा ने कहा कि सहकारिता से जुड़े कई मुद्दें जिसमें कराधान, लाभांश समेत अन्य पर वह बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा, “आप सभी से प्राप्त फीडबैक के आधार पर, सहकारिता सचिव ने सहकारी क्षेत्र की नौ मांगों को शॉर्टलिस्ट किया है और उन्हें एक के बाद एक हल किया जाएगा। शाह ने इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई गवर्नर से भी बातचीत की है”, वर्मा ने बताया।
हालांकि वर्मा ने अपने भाषण में नौ मांगों का उल्लेख नहीं किया। सोमवार को कोऑपरेटिव वीक के अवसर पर एनसीयूआई सभागार में बैठे सहकारी नेताओं को आश्वासन दिया कि अभी तक लिए गए निर्णय सहकारी क्षेत्र के पक्ष में हैं।”
वर्मा ने आगे कहा, “मैंने कई पैक्स कार्यालय का जायजा लिया है जहां पुरानी फाइलों का अंबार लगा हुआ है, यह देखकर मैं खुश नहीं हूं। मैं चाहता हूं कि इनका डाटा कंप्यूटर में स्टोर किया। इस मौके पर मुझे यहां यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि कैसे पीएम नरेंद्र मोदी के इशारे पर केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ने अक्टूबर के महीने में कचरे से छुटकारा पाया है। इन मंत्रालयों का कचरा करीब 62.5 करोड़ रुपये का बिका”, उन्होंने कहा।
वर्मा ने कहा कि सरकार अगले पांच वर्षों में 3 लाख पैक्स स्थापित करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के मद्देनजर प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को डीसीसीबी और राज्य सहकारी बैंकों से जोड़ा जाएगा, जिसमें नाबार्ड की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
इस अवसर पर बोलते हुए एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा कि सहकारी समितियों पर नई राष्ट्रीय नीति लाने का सरकार का निर्णय सहकारी समितियों के स्वायत्त और पेशेवर कामकाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सरकारी योजनाओं और बजट निर्माण में सहकारी समितियों को भी तवज्जो दिया जाए।