इंटरनेशनल राइफिसेन यूनियन (आईआरयू) के अध्यक्ष फ्रेंकी डेपिकरे ने एक वेबिनार के दौरान इंडियन कोऑपरेटिव नेटवर्क फॉर वूमेन के सहयोग से दक्षिण भारत में आई बाढ़ से प्रभावित गरीब महिलाओं की हर संभव मदद करने का वादा किया।
यह पहली बार है कि प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सहकारी नेटवर्क ने ‘गरीबों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव’ पर ध्यान दिया है। बता दें कि आईआरयू बहुत पुराना संगठन है और 53 देशों की संस्थाओं का प्रतिनिधि है, एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार।
भारत से आईआरयू की वैश्विक बोर्ड की सदस्य डॉ नंदिनी आजाद ने आईआरयू के अध्यक्ष फ्रेंकी डेपिकरे और महासचिव एंड्रियास कप्प्स के पहल की सराहना की।
इस मौके पर डॉ. आजाद ने आईआरयू और उनकी टीम को संस्थापक रायफीसेन की बेटी द्वारा वैश्विक सहकारी आंदोलन में महिलाओं के लिए किये गये कामकाज पर एक लघु फिल्म बनाने के लिए धन्यवाद दिया।
भारतीय सहकारिता आंदोलन पर अपनी प्रस्तुति में, डॉ आज़ाद ने कहा कि अमित शाह की अध्यक्षता में भारत में नए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया है और पहले चरण में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को मजबूत बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
आजाद ने भारत के थिंक टैंक “नीति आयोग” द्वारा “जस्ट रिकवरी” पर आयोजित एक बैठक में कोविड-19 महामारी के संदर्भ में दिये गए सुझावों को रेखांकित किया। उन्होंने कोरोना महामारी से निपटने के लिए महिला सहकारी समितियों द्वारा किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया।
बैठक में उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कोविड -19 का मुकाबला करने में केवल अच्छा स्वास्थ्य ही नहीं है, बल्कि वित्तीय समावेशन भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की स्वास्थ्य और महामारी नीति में सहकारी समितियों और वित्तीय समावेशन के लिए एक नया आयाम यानी “जस्ट रिकवरी प्रोसेस” बहुत महत्वपूर्ण है।
आजाद ने बताया कि इंडियन कोऑपरेटिव नेटवर्क फॉर विमेन (आइसीएनडब्ल्यू) ने महिला कोरोना वारियर को सम्मानित किया था।
इस अवसर पर कोरबिनियन मार्क्स, आईआरयू समन्वयक ने अगले वर्षों के कार्यक्रम और “आईआरयू कनेक्ट प्रोग्राम (आईआरयू संगठनों के 7 सदस्यों के साथ) की सफलता पर प्रकाश डाला।
महासचिव आईआरयू कप्प्स, मैडम डेनिएला बास, सहकारिता पर संयुक्त राष्ट्र केंद्र बिंदु, निदेशक यूएनडीईएसए, सुश्री सिमेल एसिम, सहकारी समितियों के आईएलओ प्रमुख, और अन्य सहित कई सहकारी पदाधिकारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।