केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपनी महाराष्ट्र यात्रा के दूसरे दिन पुणे में वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान (वामनिकॉम) के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
दीक्षांत समारोह में शामिल छात्र-छात्राओं को जीवन के एक नये पड़ाव की शुरुआत पर उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए अमित शाह ने कहा कि आप सब की शिक्षा दीक्षा एक ऐसे शहर में हुई है जो देश का ऐतिहासिक शहर है और पूरे देश में शिक्षा का केंद्र है।
पुणे शहर से ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वदेश,स्वराज और स्वधर्म का नारा बुलंद किया था। यही नारा बाद में आज़ादी में परिवर्तित हुआ और 1947 में हमारा देश आज़ाद होकर आज हम स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, पीआईबी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
उन्होंने उपस्थित छात्रों से कहा कि सहकारिता क्षेत्र में रोज़गार और विकास की अनेक संभावनाएँ हैं,इसमें में करियर के लिए पोटेंशियल के साथ ही आत्मसंतोष भी है।
शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में भारत के पाँच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में सहकारिता मंत्रालय और सहकारिता आंदोलन की बहुत बड़ी भूमिका होगी। उन्होने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र अमूल जैसी सहकारी संस्था देश की 36 लाख बहनों से सुबह शाम दूध एकत्र कर हर साल 52,000 करोड़ रुपये वितरित करती है। देश की अनेक सहकारी संस्थाओं ने सफलता की अनेक नई गाथाएँ रची हैं और अमूल के अलावा इफ़को,कृभको और लिज्जत पापड़ देश की प्रतिष्ठित सहकारी संस्थाएँ हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को मज़बूत बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में अनेक महत्वपूर्ण क़दम उठाए जा रहे हैं। हम मल्टी स्टेट ऑपरेटिव एक्ट को संशोधित कर उसमें जो भी कमियां हैं उन्हें दूर करेंगे। साथ ही प्राइमरी एग्रीकल्चर सोसायटी (पैक्स) जो कि सहकारिता क्षेत्र की आत्मा है उनका संपूर्ण कंप्यूटरीकरण किया जाएगा।
पैक्स को डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक के साथ, डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंकों को स्टेट कोऑपरेटिव बैंकों के साथ और स्टेट कोऑपरेटिव बैंकों को नाबार्ड से जोड़ा जाएगा और नाबार्ड से लेकर लेकर गाँव तक एक पूरी पारदर्शी एग्रीकल्चर फाइनेंस की व्यवस्था बनायी जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर इस देश के आधे गाँवों में पैक्स स्थापित होते हैं और वे पारदर्शी तरीक़े से चलते हैं तो इस देश के अर्थतंत्र को बहुत अधिक गति मिलेगी और देश के किसानों और ख़ासकर ग़रीब किसानों को अपनी उपज का सीधा फ़ायदा मिलेगा।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश में सहकारिता क्षेत्र को बढ़ाने का फ़ैसला लिया है और और अगले 25 साल के लिये एक ऐसी सहकारिता नीति बनानी होगी जिसको लागू किया जा सके। सहकारिता मंत्रालय ने इस नीति को बनाने का काम शुरू कर दिया है और कुछ ही समय में मोदी जी के नेतृत्व में हम देश के सामने एक नई सहकारिता नीति पेश करेंगे जो देश के अंदर कोऑपरेटिव को हर गाँव तक पहुँचाएगी।