भारतीय रिज़र्व बैंक ने पिछले हफ्ते एमयूएफ़जी बैंक पर आरबीआई द्वारा जारी “ऋण और अग्रिम – सांविधिक और अन्य प्रतिबंध” संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 30 लाख (तीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
आरबीआई ने पिछले हफ्ते मुंबई स्थित दत्तात्रेय महाराज कलांबे जाओली सहकारी बैंक और रतनगिरी स्थित चिपलुन अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर भी जुर्माना लगाया है।
एमयूएफ़जी बैंक पर यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है, आरबीआई ने स्पष्ट किया।
दत्तात्रेय महाराज कालंबे जाओली सहकारी बैंक लि., मुंबई (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी एक्सपोजर मानदंड एवं सांविधिक/अन्य प्रतिबंध – यूसीबी संबंधी निदेशों के उल्लंघन/ अननुपालन के लिए 1 लाख (एक लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
“31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर उसके निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक ने कतिपय मामलों में नाममात्र के सदस्यों को अग्रिम देने संबंधी सीमा का पालन नहीं किया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि उपर्युक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए”, आरबीआई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
इसी तरह, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने रत्नागिरी स्थित चिपलून शहरी सहकारी बैंक पर एक्सपोजर मानदंड और सांविधिक / अन्य प्रतिबंध – शहरी सहकारी बैंक, पर आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के उल्लंघन/ अननुपालन के लिए 2,00,000 (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है।
बैंक पर यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
बैंक के कारण बताओ नोटिस के लिखित उत्तर तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों और बाद में प्रस्तुत अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।