पुणे स्थित वामनिकॉम ने शिवनेरी सभागार में 15 जनवरी 2022 को अपना 55वां स्थापना दिवस मनाया। इस मौके पर सहकारिता मंत्रालय के सचिव डीके सिंह मुख्य अतिथि थे।
ऑस्ट्रिया के विएना में स्थित सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष डॉ. शालिनी रंधेरिया इस अवसर पर गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में उपस्थित थे। इसके अलावा, विजय कुमार, अपर सचिव, भारत सरकार, वामनिकॉम की निदेशक हेमा यादव समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ और अतिथियों का स्वागत करते हुए वामनिकॉम की निदेशक डॉ हेमा यादव ने कहा कि 55वां स्थापना दिवस आजादी का अमृत महोत्सव के 75वें वर्ष के साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वामनिकॉम प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने इस मौके पर 54वें से लेकर 55वें स्थापना दिवस तक की यात्रा को साझा किया। हेमा ने रेखांकित किया कि वामनिकॉम खुद को एक पेशेवर और शैक्षणिक संस्थान के रूप में स्थापित करने में सक्षम है, जिसका उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देना है।
इ डॉ. वाईएस पाटिल ने वामनिकॉम की यात्रा पर प्रतिभागियों के समक्ष एक प्रस्तुति पेश की और संस्थान द्वारा संचालित प्रबंधन शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान और परामर्श कार्यों के क्षेत्र में कई उपलब्धियों के बारे में बताया।
अपने भाषण में वामनिकॉम की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और अतिरिक्त सचिव विजय कुमार ने देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने पर जोर दिया। उन्होंने सरकार द्वारा की जा रही कई पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें पैक्स का कम्प्यूटरीकरण, राष्ट्रीय सहकारिता नीति तैयार करना समेत अन्य विषय शामिल हैं।
कुमार ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र की पहुंच देश के 90 प्रतिशत गांवों में है। जमीनी स्तर पर किसानों को कम लागत पर कृषि ऋण उपलब्ध कराने में सहकारिता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कुछ सहकारी समितियों की सफलता की कहानियां पूरी दुनिया में जानी जाती हैं। कुमार ने महसूस किया कि सहकारी क्षेत्र में करोड़ों किसानों, कारीगरों, मछुआरों, मजदूरों और आम जनता के जीवन को बदलने की क्षमता है।
डॉ. शालिनी रंधेरिया ने देश के दिग्गज सहकारी नेता स्वर्गीय श्री वैकुंठभाई मेहता के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला। “वैकुंठ मेहता को भारतीय सहकारी आंदोलन के वास्तुकार के रूप में याद किया जाएगा, इसलिए नहीं कि उन्होंने सहकारी आंदोलन के लिए खुद को समर्पित कर दिया, बल्कि इसलिए भी कि उन्होंने सहकारी विचारधारा और प्रथाओं में कुछ नवाचारों को भी शुरू किया और लगातार भारतीय परिस्थितियों और पर्यावरण के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय सहकारी आंदोलनों में आगे बढ़े”, उन्होंने कहा।
डीके सिंह ने अपने संबोधन में मेहता पर लिखी पुस्तक की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है, जो देश में सहकारिता आंदोलन को नई दिशा देगा। सहकारी समितियों में नैतिकता की भूमिका आज के परिदृश्य में बहुत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है, जहां संस्थान को शासन में नैतिकता, अखंडता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को महत्व देना चाहिए, उन्होंने कहा।
संस्थान के रजिस्ट्रार वी. सुधीर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।