सोल आर्बिट्रेटर बिमल जुल्का ने फिशकोफेड के प्रबंध निदेशक बी के मिश्र के पक्ष में अवार्ड दिया है, जबकि टी प्रसाद राव डोरा का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी अध्यक्ष पद पर बने रहना अनुचित बताया है।
पाठकों को याद होगा कि पिछले साल केंद्रीय रजिस्ट्रार ने मिश्र और संस्था के पूर्व अध्यक्ष टी प्रसाद डोरा के खिलाफ दायर शिकायत के निपटारे के लिए एक मध्यस्थ नियुक्त किया था। यह शिकायत संस्था के एक कर्मचारी एपी अंसारी ने दायर की थी।
आर्बिट्रेटर की ओर से दिये गये अवार्ड के मुताबिक, “श्री बिमल कुमार मिश्र, प्रबंध निदेशक, फिशकोफेड की सेवानिवृत्ति की तारीख 30.06.2020 के बाद सेवा का विस्तार अवैध नहीं है और उसे वैधानिक समर्थन प्राप्त है।”
जबकि, डोरा के संबंध में अपने फैसले में मध्यस्थ ने कहा, “श्री टी. प्रसाद राव डोरा का 06.07.2020 के बाद अध्यक्ष के रूप में बने रहना विधिसम्मत नहीं है, क्योंकि यह महासंघ को नियंत्रित करने वाले वैधानिक नियमों का उल्लंघन है। फिशकोपफेड में प्रतिनिधित्व करने वाली समिति की अध्यक्षता खोने के बाद, श्री टी. प्रसाद राव डोरा की अध्यक्षता वाले निदेशक मंडल द्वारा लिए गए निर्णय कानून सम्मत नहीं हैं।
बता दें कि अंसारी ने द्वारा की गयी शिकायतों में बिमल कुमार मिश्र की सेवानिवृत्ति के बाद प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्ति तथा फिशकॉपफेड की सदस्य सोसायटी, जिसका उन्होंने प्रतिनिधित्व किया था, की अध्यक्षता खोने के कारण डोरा का, फेडरेशन के उप-नियम संख्या 29(viii) के प्रावधानों के अनुसार, फिशकोपफेड के अध्यक्ष पद के लिए अपात्र हो जाना शामिल है।
उन्होंने आगे शिकायत की कि “क्या श्री बिमल कुमार मिश्र की बोर्ड की बैठक में पुनर्नियुक्ति या प्रभारी एमडी के रूप में नियुक्ति के लिए एक एजेंडा के साथ उपस्थिति, ऐसी कार्यवाही की वैधता को प्रभावित करती है और क्या श्री टी प्रसाद राव डोरा ने जिस समिति का उन्होंने फिशकोफेड में प्रतिनिधित्व किया, उसके अध्यक्ष पद से हारने के बाद, उनकी अध्यक्षता में निदेशक मंडल द्वारा लिया गया निर्णय गैर-कानूनी है”, अंसारी की शिकायत के अनुसार।
उल्लेखनीय है कि मत्स्य पालन मंत्रालय और एनसीडीसी की फिशकोफेड में 89 प्रतिशत हिस्सेदारी है। फिशकोफेड के बोर्ड के सदस्यों के बीच अंतरकलह के कारण इसकी छवि काफी प्रभावित हो रही है और कर्मचारियों को पिछले सात महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है।
पाठक नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके मध्यस्थ का फैसला पढ़ सकते हैं:
Award MSCS(Agr)- AP Ansari v. BK Mishra and Anr. 29.12.2021 (1)