इफको के वरिष्ठ कर्मचारियों और सहयोगी दलों को वर्चुअली संबोधित करते हुये संस्था के प्रबंध निदेशक डॉ यू.एस.अवस्थी ने कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में मदद करेगा।
“इफको नैनो यूरिया लिक्विड भूमिगत जल की गुणवत्ता, ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। यह बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ फसल उत्पादन में भी वृद्धि करेगा, अवस्थी ने कहा।”
उन्होंने आगे कहा कि नैनो यूरिया लिक्विड न केवल किसानों को बड़े पैमाने पर मदद करेगा बल्कि सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी को भी कम करने में समर्थन करेगा। उन्होंने दावा किया कि अब तक हमने नैनो यूरिया लिक्विड की 2.25 करोड़ बोतलों का उत्पादन किया है, लेकिन फूलपुर, आंवला, बैंगलोर और असम में नैनो यूरिया प्लांट के संचालन के बाद हम 30 करोड़ बोतलों का उत्पादन करेंगे।
“इफको नैनो यूरिया लिक्विड की 500 मिलीलीटर की एक बोतल पारंपरिक यूरिया की कम से कम एक बोरी की बराबरी करेगा। इस 500 मिलीलीटर की बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो पारंपरिक यूरिया के एक बैग द्वारा प्रदान किए गए नाइट्रोजन पोषक तत्व के प्रभाव के बराबर है”, उन्होंने दोहराया।
अपने संबोधन में इफको के मार्केटिंग हेड योगेंद्र कुमार ने कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी कृषि क्षेत्र के लिए गेम चेंजर है। नैनो की विकास यात्रा को याद करते हुए कुमार ने कहा, “हमने 2019 में इस परियोजना पर काम शुरू किया था और उसी साल हम इसे बनाने में सफल रहे। कलोल प्लांट में मूंगफली, बाजरा और मूंग सहित तीन फसलों पर फील्ड ट्रायल किया गया था और हमें उत्साहजनक परिणाम मिले थे।”
“बाद में हमने इसे खुले बाजार में लॉन्च करने की प्रक्रिया शुरू की। हमें हर जगह से काफी अच्छी प्रतिक्रियाएं मिली हैं”, कुमार ने कहा, जिसमें 2500 से अधिक लोग वर्चुअली जुड़े हुये थे।
कुमार ने आगे कहा, “इसके बाद, इफको ने लगभग सभी राज्यों और कई केंद्र शासित प्रदेशों में नैनो उर्वरकों का फील्ड परीक्षण शुरू किया। 11,000 से अधिक किसानों के खेतों पर फील्ड परीक्षण किए गए। इसके अलावा, इफको ड्रोन तकनीक के माध्यम से नैनो यूरिया के छिड़काव पर भी काम कर रहा है।”
उन्होंने इस अवसर पर एक प्रस्तुति भी दी और प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब दिए। इस अवसर पर इफको के निदेशक (मानव संसाधन और कानूनी) आरपी सिंह, एके गुप्ता समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।