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भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों ने ही अपने घोषणा पत्र में उत्तर प्रदेश के सहकारी क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए वादों की लंबी फेहरिस्त दी है। सौभाग्य से, इस चुनाव में कई सहकारी नेता भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
भाजपा ने राज्य में नई सहकारी चीनी मिलों और दुग्ध सहकारी समितियों की स्थापना की घोषणा की है, जबकि समाजवादी पार्टी ने राज्य में स्थित सहकारी समितियों को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करने का संकल्प लिया है।
अपने घोषणा पत्र में भाजपा ने चीनी मिलों के आधुनिकीकरण के लिए 5,000 करोड़ रुपये की योजना बनाई है, जबकि समाजवादी पार्टी ने गन्ना किसानों का भुगतान 15 दिनों में सुनिश्चित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का कोष बनाने का वादा किया है।
उत्तर प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में नंबर वन बनाने के लिए भाजपा गांवों में नई दुग्ध सहकारी समितियां स्थापित करेगी ताकि दूध उत्पादकों को अच्छी कीमत मिल सके। समाजवादी पार्टी के घोषणापत्र के अनुसार, “हम कृषि सहकारी समितियों की स्थिति की समीक्षा कर उन्हें मजबूत करेंगे और इसे भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करेंगे”।
सपा के घोषणा-पत्र के अनुसार, “अगर हम सत्ता में आते हैं तो हमारी सरकार सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए काम करेगी, ताकि किसानों को यूरिया, कीटनाशक और अन्य कृषि सामग्री बेहतर कीमतों पर मिल सके।”
पाठकों को याद होगा कि राज्य में सहकारिता की वर्तमान स्थिति बहुत उत्साहजनक नहीं है। राज्य भर में कई सहकारी समितियां वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं। कई जिला केंद्रीय सहकारी बैंक भी घाटे में चल रहे हैं।
लेकिन योगी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान कई उल्लेखनीय कार्य किये हैं और सपा शासन के दौरान सहकारी समितियों में की गई अवैध भर्ती पर कार्रवाई करते हुए उन्हें रद्द किया है।
इसके अलावा, योगी के नेतृत्व वाली सरकार राज्य के डीसीसीबी को उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के साथ विलय करने की परियोजना को भी आरम्भ किया है।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में यशपाल सिंह यादव, अंकित परिहार, मनिंदर पाल, नागेंद्र सिंह राठौर समेत कई सहकारी नेता मैदान में हैं।
राज्य में सात चरणों में मतदान होना है और पहले चरण का आज जारी है। नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे।